जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने बुधवार को रिश्वतखोरी के एक मामले में अनिवार्य सेवानिवृत्ति पर भेजे गए एसआई को बड़ी राहत दी। कोर्ट ने कहा है कि इस तरह के मामले में भी किसी पूर्व कर्मचारी की पेंशन नहीं रोकी जा सकती। इसी के साथ उसने सरकार को 15 दिनों में हटाए गए पुलिसकर्मी को पेंशन भुगतान शुरू करने के आदेश दिए हैं।
जस्टिस केके त्रिवेदी की एकलपीठ ने अपने अंतरिम आदेश में कहा है कि कारण कोई भी हो लेकिन अनिवार्य सेवानिवृत्ति प्राप्त कर्मचारी की पेंशन नहीं रोकी जा सकती है। यह उसके जीवन निर्वाह के लिए जरूरी है। कोर्ट ने शासन को 15 दिन की मोहलत देते हुए 28 सितंबर तक पालन प्रतिवेदन भी मांगा है। यह आदेश मंडला निवासी रिटायर्ड एसआई रविनाथ मिश्रा की याचिका पर कोर्ट ने यह आदेश दिया है। याची पक्ष की ओर से अधिवक्ता अजय शंकर रायजादा ने पैरवी की।
ये है मामला
आईजी बालाघाट ने 30 नवंबर 2011 को जबलपुर के ओमती थाने के तत्कालीन सब इंस्पेक्टर रविनाथ मिश्रा के अनिवार्य सेवानिवृत्ति का आदेश जारी किया था। मिश्रा पर एक दुष्कर्म पीड़िता आदिवासी महिला ने आरोप लगाया था कि उसने आरोपी से केस कमजोर करने के नाम पर 30 हजार रुपए लिए हैं। जांच में यह आरोप सही पाए गए थे। इस कारण राज्य शासन ने रविनाथ मिश्रा को न तो पेंशन जारी की, न ही कोई रिटायरमेंट बेनिफिट दिया। रविनाथ मिश्रा ने 7 जनवरी 2013 को पेंशन और रिटायरमेंट बेनिफिट की मांग करते हुए आईजी के फैसले पर डीजीपी मुख्यालय से अपील की। लेकिन इसे खारिज कर दिया गया था।