व्यापमं: 7 दिन 7 जमानत, ये कैसी CBI

ग्वालियर। व्यापमं घोटाले में सीबीआई जांच की मांग करते समय शायद ही किसी ने सोचा होगा कि सीबीआई तो व्यापमं के आरोपियों के लिए वरदान बन जाएगी। उचित समय पर चालान पेश नहीं कर पाने के कारण पिछले 7 दिनों में 7 आरोपियों को जमानत मिल गई। सीबीआई योगेश उपरीत और डॉ. एमएस जौहरी जमानत याचिका का विरोध तक नहीं कर पाई। 

हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने व्यापमं फर्जीवाड़ा मामले में पांच और आरोपियों को राहत देते हुए उन्हें जमानत दे दी है। व्यापमं कंट्रोलर योगेश उपरीत सहित जबलपुर के न्यूरो सर्जन डॉक्टर मुकेश जौहरी को जमानत दिए जाने के बाद एक हफ्ते से भी कम समय में कोर्ट द्वारा यह दूसरी बार व्यापमं घोटाले के आरोपियों को जमानत दी गई है। 

इन सभी आरोपियों पर अपने बच्चों को व्यापमं में पैसे लगाकर पास कराने का आरोप है। ये आरोपी पिछले 6 महीने से ग्वालियर की केंद्रीय जेल में बंद थे। इन सभी आरोपियों के मामले में 90 दिन बीतने के बाद भी सीबीआई के जरिए चालान पेश नहीं किए जाने के कारण हाईकोर्ट ने इन्हें जमानत दे दी। 

कबूलनामें के बाद भी रिहा हुए आरोपी
सीबीआई द्वारा चालान पेश नहीं करने के कारण 4 सितंबर को व्यापमं में प्री-पीजी फर्जीवाड़े के आरोपी योगेश चंद्र उपरीत को भी रिहा कर दिया गया था। गिरफ्तार होने के बाद आरोपी उपरीत ने कुबूल किया था कि, उसने 25 लाख रुपए लेकर जबलपुर के प्रमुख न्यूरोलोजिस्ट डॉ. एमएस जौहरी की बेटी डॉ. ऋचा जौहरी का प्री-पीजी में गोले काले कर सिलेक्शन कराया था। जिसके चलते एसटीएफ ने डॉ. ऋचा के पिता डॉ. एमएस जौहरी को गिरफ्तार किया गया था। जिन्हें भी जमानत मिल गई है। 

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