शिवराज की पर्चियों पर हुईं अवैध नियुक्तियों की पहली लिस्ट जारी

भोपाल। कांग्रेस के प्रवक्ता केके मिश्रा ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पर्चियों 'नोटशीट' पर हुईं अवैध नियुक्तियों की पहली लिस्ट जारी कर दी है। इसी के साथ कांग्रेस ने जनसंपर्क संचालनालय में चल रहा विज्ञापन घोटाला भी उजागर किया है।

पढ़िए कांग्रेस की ओर से जारी प्रेस बयान एवं लिस्ट:
वर्ष 2004 से 2015 तक भाजपा शासित सरकार ने विभिन्न संस्थानों मसलन राजीव गांधी प्रोद्योगिकी विश्वविद्यालय, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्व विद्यालय, जनसंपर्क विभाग के अधीन कार्यरत म.प्र. माध्यम, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान है, क्रिप्स, सेडमेप, वन्या, मेपआईटी के अलावा अन्य महत्वपूर्ण संस्थानों में सैकड़ों अवैध नियुक्तियां भ्रष्टाचार के माध्यम से की हैं।

क्रिप्स के अध्यक्ष खनन कारोबारी और जेल में बंद सुधीर शर्मा रहे हैं, इनकी नियुक्ति मुख्यमंत्री ने स्वयं करायी थी।

सेडमेप संस्थान में जो भारी गड़बड़ियां, अनियमितताऐं और भ्रष्टाचार हुआ है, उसका खुलासा हाल ही में लोकायुक्त का जितेन्द्र तिवारी, ईडी, सेडमेप के यहां मारे गये छापे के दौरान हुआ है, श्री तिवारी ने मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के प्रमुख सचिव       एस.के. मिश्रा और म.प्र. विद्युत वितरण कंपनी के अध्यक्ष संजय शुक्ला से अपनी नजदीकी का खुलासा स्वयं छापे के दौरान किया है।

वन्या में भी अनेक अवैध नियुक्तियां हुई हैं, यह संस्थान अपने उद्देश्यों से भटक गया है।

मेपआईटी जो कि आईटी विभाग म.प्र. शासन के अंतर्गत आता है, इसमें भी सैकड़ों अवैध नियुक्तियां हुई हैं, एक अवैध नियुक्ति का उदाहरण यह है कि शिवराजसिंह ढाबी नामक व्यक्ति वह है, जो विदेश सरकार के लिये वांटेड था, जैसे ही यह मामला सुर्खियों में आया मेपआईटी ने उसे सेवाओं से बेदखल कर दिया।

मप्र माध्यम जनसंपर्क विभाग के अधीन है, इसमें भी भ्रष्टाचार हुआ है। इसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान हैं। माध्यम के जरिये शिवराज सिंह चौहान अपनी छवि को चमकाने के लिए करोड़ों रूपये पानी की तरह बहाते हैं।

जनसंपर्क विभाग मध्यप्रदेश शासन का प्रमुख विभाग है, इस विभाग की हाल ही में जनसंपर्क मंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने समीक्षा की है, समीक्षा बैठक में सोशल मीडिया विंग की भी समीक्षा की गई है, इस समीक्षा के दौरान बाहरी व्यक्ति जो कि जनसंपर्क विभाग के नहीं हैं, वे अवैध रूप से मुख्यमंत्री का सोशल मीडिया का काम देखते हैं, उसी हैसियत से मंत्री के समक्ष उपस्थित हुये, जो छायाचित्र में स्पष्ट नजर आ रहा है।

ऐसा बताया जाता है कि मुख्यमंत्री के सोशल मीडिया का काम जो गुजरात की कंपनी के लोग कर रहे हैं, वे गलत तरीकों से लाखों रूपयों का लेन-देन कर रहे हैं, यही नहीं ये लोग राज्य के मुख्यमंत्री की अनेक गोपनीय बैठकों में भी मौजूद रहते हैं, जो उचित नहीं है। निजी व्यक्ति जनसंपर्क विभाग कार्यालय में अवैध तरीके से अपनी गतिविधियां संचालित किसकी अनुमति से कर रहे हैं?

स्वयं मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने जिन दर्जनों अवैध नियुक्तियों को अपने हस्ताक्षर से जारी किया है उनके प्रमुख नाम हैं-

माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्व विद्यालय, भोपाल के कुलपति बृजकिशोर कुठियाला,
प्रकाशन अधिकारी सौरभ मालवीय,
सीनियर प्रोफेसर अंशोक टंडन
प्राध्यापक इलेक्ट्रानिक मीडिया आशीष जोशी,
रेक्टर रामदेव भारद्वाज,
रजिस्ट्रार चंदर सोनाने,

वित्त अधिकारी श्रीमती रिंकी जैन,
प्रोड्यूसर बापू वाघ,
राकेश कुमार योगी,
रामदीन त्यागी,
मनोज कुमार पटेल,
गजेन्द्रसिंह अवासिया,
दीपक चौकसे अग्निमित्र,
प्रोडक्शन असिस्टेंट विभोर दुबे,
लोकेन्द्रसिंह राजपूत,
प्रियंका सोनकर,
संतोष कुमार मिश्रा,
वरिष्ठ प्राध्यापक डाॅ. एन.के. त्रिखा (नियुक्ति के समय आयु 76 वर्ष),
प्राध्यापक शोध विभाग प्रोफेसर देवेश किशोर (नियुक्ति के समय आयु 70 वर्ष),
प्राध्यापक प्रशिक्षण विभाग रामजी त्रिपाठी (नियुक्ति के समय आयु 70 वर्ष),
प्राध्यापक मीडिया मेनेजमेंट अमिताभ भटनागर,
दिनेश सोनी,
लोकेन्द्रसिंह,
गयादीन त्यागी जो केंद्रीय मंत्री नरेन्द्रसिंह तोमर के निजी स्टाफ में रहे हैंं

विडम्बना तो इस बात की है कि:-
1. माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्व विद्यालय के जिन कुलपति बी.के. कुठियाला ने समूचे संस्थान की साख को तार-तार कर दिया हो, उसे एक राजनैतिक अखाड़ा बनाकर भ्रष्टाचार के कीर्तिमान स्थापित कर दिये हों, उन्हें मध्यप्रदेश विश्व विद्यालय अधिनियम-1973 की धारा की 14 की उपधारा-2 के परन्तुक के अनुसार उनके कार्यकाल को भी मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चैहान ने आगामी आदेश तक निरंतर जारी रखने के आदेश अपने क्षेत्राधिकार के विरूद्व जाकर जारी कर दिये, जो उनके अधिकार क्षेत्र में है ही नहीं, क्योंकि इस विश्व विद्यालय पर यह धारा लागू होती ही नहीं है।

2. इसी विश्व विद्यालय के प्रकाशन विभाग में प्रकाशन अधिकारी के रूप में जिस सौरभ मालवीय को स्वयं मुख्यमंत्री ने नियुक्ति आदेश दिनांक 8 अक्टूबर 2010 को जारी किये हैं, सचिव, म.प्र. शासन, जनसंपर्क विभाग मंत्रालय और कुलपति कुठियाला ने भी उसी दिन नियुक्ति पत्र जारी करने हेतु आदेश जारी किये हैं। इस अवैध नियुक्ति की सारी प्रक्रिया मात्र एक ही दिन में पूरी कर दी गई।

3. इसी विश्व विद्यालय में सीनियर प्रोफेसर के पद पर नियुक्त अशोक टंडन जो दिल्ली में एक बड़े भाजपा नेता के व्यक्तिगत काम देखते हैं।

4. इसी विश्व विद्यालय में व्यापम महाघोटाले को लेकर शहडोल जिले के चैरी गांव निवासी श्रीमती प्रेमलता पांडे, जिनकी मौत संदिग्ध परिस्थितियों में हुई थी और इस मौत को लेकर सीबीआई ने भी इसे अपनी एफआईआर में शामिल किया है, के देवर और मुख्यमंत्री की पत्नी श्रीमती साधनासिंह के करीबी राकेश पांडे को भी मुख्यमंत्री की अनुशंसा पर नियुक्ति दी गई, राकेश पांडे व्यापम महाघोटाले में अभी जमानत पर रिहा हुये हैं।

5. भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी जिन्हें राजीव गांधी प्रोद्योगिकी विश्व विद्यालय से 01 लाख 40 हजार रूपये प्रतिमाह के वेतन पर नियुक्ति देने वाले कौन थे, जबकि उन्होंने एक भी दिन इस विश्व विद्यालय में अपना कदम भी नहीं रखा है?

6. इस विश्व विद्यालय में हो रहीं गड़बड़ियों को लेकर बतौर भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और सांसद के रूप में खुद शिवराजसिंह चौहान ने 13 अप्रेल, 2003 को इस विश्व विद्यालय पर लक्ष्य से भटकने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस शासन के दौरान गत् 10 वर्षों में हुईं नियुक्तियों और उसे लेकर सीबीआई जांच की मांग की थी, हमारा मुख्यमंत्री से आग्रह है कि वे अब भाजपा शासन के दौरान हुई अवैध नियुक्तियों और भ्रष्टाचार की सीबीआई जांच की अनुशंसा करें।

इसके अतिरिक्त प्रदीप डेहरिया, पवन मलिक, सुरेन्द्र पाल, सत्येन्द्र डेहरिया, प्रीति माहेश्वरी, डाॅ. अविनाश वाजपेयी, डाॅ. राखी तिवारी, डाॅ. मोनिका वर्मा, डाॅ. पी. शशिकला जिन पदों पर काम कर रहे हैं, उन पदों की अर्हतायें ही उनके पास नहीं हैं, उसके बावजूद भी उन्हें महत्वपूर्ण पदों पर क्यों, कैसे और किन निहित उद्देश्यों की पूर्ति हेतु किसके आदेश पर उपकृत किया गया है, इसकी भी जांच होनी चाहिए।

यही नहीं डायरेक्टर प्रोडक्शन के रूप में जिस आशीष जोशी की अवैध नियुक्ति का उल्लेख किया है, वे अपनी पत्नी श्रीमती दीपा जोशी, संपादक, ‘आप न्यूज’, निवासी-एचआईजी-205, पंडित भीमसेन जोशी परिसर, सेक्टर-2 सी, साकेत नगर, भोपाल-462024, ईमेल आईडी- दमूे/ंचदमूेण्पद के नाम पर जनसंपर्क विभाग से फर्जी तरीके से विज्ञापन के नाम पर लाखों रूपया भी एठतें हैं। कहा जा रहा है कि इन्हें मुख्यमंत्री का वरदहस्त प्राप्त है।

इसी प्रकार मुख्यमंत्री के ही एक अन्य करीबी संजय द्विवेदी विभागाध्यक्ष, जनसंचार माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्व विद्यालय भी ‘मीडिया विमर्श’ पत्रिका के कार्यकारी संपादक के रूप में न केवल कार्य कर रहे हैं, बल्कि जनसंपर्क विभाग से मिलकर इस पत्रिका के माध्यम से लाखों रूपयों की हेराफेरी भी कर रहे हैं। 

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