भोपाल। छतरपुर के महाराजा छत्रसाल बुन्देलखंड विश्वविद्यालय से सागर जिले के कालेजों को संबद्ध करने से दो मंत्री गोपाल भार्गव और भूपेन्द्र सिंह ठाकुर उखड़ गये हैं। डॉ. हरि सिंह गौर विश्व विद्यालय के अकादमिक काउंसिल के सात सदस्यों ने भी शासन के समक्ष विरोध दर्ज कराया है।
विरोध के चलते उच्च शिक्षा विभाग पशोपेश में है कि राष्ट्रपति द्वारा नये संशोधन अधिनियम में लगाये गये मुहर को कैसे बदला जाये। चिंता और बढ़ गई है कि चार सौ करोड़ की लागत से बनने वाले छतरपुर विश्वविद्यालय के अधिकारों में कांट-छांट करना कहां तक उचित होगा।
मामला इसलिये पेचीदा हो गया है कि मध्यप्रदेश विश्वविद्यालय (संशोधन) अधिनियम 2011 को राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद राज्य शासन ने डॉ. हरि सिंह गौर विश्वविद्यालय से संबद्ध रहने वाले संभाग के सभी कॉलेजों को महाराजा छत्रसाल बुन्देलखंड विश्व विद्यालय से संबद्ध कर दिया है। छतरपुर, टीकगमढ़, दमोह, सागर और पन्ना जिले के करीब 60 कालेजों के अलग होने से सागर विवि के वजूद पर खतरा बन गया है। करीब आठ लाख विद्यार्थियों की परीक्षाएं लेने वाले विवि से यह भी अधिकार चला गया है। केन्द्रीय विश्व विद्यालय बनने के बाद शासन ने इसे रेसीडेंटल संस्थान मान लिया है।
