हाईकोर्ट से बच नहीं पाए योगीराज शर्मा, चलेगा मुकदमा

जबलपुर। मप्र में भ्रष्टाचार के ब्रांड एम्बेसडर बर्खास्त स्वास्थ्य संचालक डॉ. योगीराज शर्मा खुद के खिलाफ चल रहे तमाम प्रकरणों में खातमा लगाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं। तमाम मामलों को खत्म कर दिया गया है या फिर जांच को शिथिल करवा दिया गया है। इसी प्रक्रिया के तहत योगीराज शर्मा ने अपने खिलाफ ट्रायल कोर्ट में तय किए गए भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी के मामले को भी खारिज कराने का प्रयास किया। हाईकोर्ट में प्रकरण को चेलेंज किया, परंतु हाईकोर्ट में योगीराज शर्मा बच नहीं पाए। न्यायालय ने उनकी याचिका खारिज कर दी।

भोपाल की विशेष अदालत ने 28 जनवरी 2015 को डॉ. शर्मा और नंदा के खिलाफ भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप तय किए थे। दोनों ने इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। केन्द्र सरकार ने राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य योजना के तहत 2006 में प्रदेश में दवा खरीदी के लिए 23.34 करोड़ रुपए की पहली किश्त आवंटित की थी। केन्द्र ने राज्य सरकार को पत्र भेजकर स्पष्ट तौर पर कहा था कि दवा केन्द्रीय सार्वजनिक उपक्रम से ही खरीदी जाए। कुछ समय बाद लोकायुक्त के सचिव को शिकायत प्राप्त हुई कि उक्त दवा खरीदी में घोटाला हुआ है।

गरीबों के लिए था पैसा
दोनों पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ ट्रायल के लिए पर्याप्त सबूत हैं। दस्तावेजों से स्पष्ट है कि षडयंत्र रच कर दवा खरीदी में फर्जीवाड़ा किया गया है। कोर्ट ने कहा कि ये पैसा गरीबों के स्वास्थ्य के लिए आवंटित हुआ था। हाई कोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने योगीराज और नंदा के खिलाफ आरोप तय करने में कोई त्रुटि नहीं की है।

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