भोपाल। मप्र के विभिन्न इलाकों में हो रहीं बच्चों की चोरी अब एक संगठित अपराध प्रमाणित होने लगा है। बालकल्याण समिति के सूत्र भी अब यही दावा कर रहे हैं। स्लीपर सेल वारदात को अंजाम देते हैं और यदि कभी पकड़े भी गए तो पुलिस उनकी भरपूर मदद करती है। प्रस्तुत प्रकरण में कुछ ऐसा ही हो रहा है।
बाल कल्याण समिति ने आरोप लगाया है कि सोमवार को हबीबगंज पुलिस को एक 10 साल की बच्ची बदहवास हालत में हबीबगंज रेलवे स्टेशन पर मिली थी। पुलिस ने उसे चाइल्ड लाइन के सुपुर्द कर दिया। पूछताछ में बच्ची ने बताया कि, उसके माता-पिता नहीं हैं। आमला में नाना के पास रहती है। इसके अलावा उसने अपने कथित बहन और उसके साथ रहने वाले युवक के बारे में भी पूरी जानकारी दी।
जब आरोपी युवक युवती से समिति ने पूछताछ की तो दोनों के बयानों में स्पष्ट रूप से विरोध दिखाई दे गया। समिति ने कमलानगर थाने को आरोपियों के खिलाफ अपहरण का मामला दर्ज करने की सिफारिश की परंतु पुलिस ने अभी तक मामला दर्ज नहीं किया। याद दिला दें कि समिति को सेशन कोर्ट के समकक्ष दर्जा प्राप्त है।
पुलिस का तर्क है कि अभी मामले की जांच की जा रही है। आदेश की उपेक्षा करने के मामले में समिति की पांच सदस्यीय बेंच ने डीजीपी को मामले की जांच के आदेश दिए हैं। इसके साथ ही समिति ने आरोपी अखिलेश के घर में रह रही अन्य दो संदिग्ध लड़कियों की फाइल खोल ली है।
समिति का कहना है कि इस मामले के तार मानव तस्करी से जुड़ने के संकेत मिल रहे हैं। समिति ने मामले में महिला सशक्तिकरण अधिकारी से रिपोर्ट मांगी है। कमलानगर थाना टीआई मुख्तार कुरैशी ने बताया कि अभी बारीकी से जांच चल रही है।
