भोपाल। सतपुड़ा की पर्वत श्रृंखलाएं एवं घने जंगल के बीच स्थित है नागलोक का दरवाजा। इसे नागद्वारी कहते हैं। सामान्य दिनों में यहां जाने की हिम्मत कोई नहीं जुटाता परंतु नागपंचमी के अवसर पर यहां मेला लगता है। लोग नागलोक के दरवाजे पर जाकर उनका पूजन करते हैं। जान जोखिम में डालकर यहां पहुंचते हैं।
भोपाल से करीब 200 किलोमीटर दूर स्थित धार्मिक एवं पर्यटन नगरी पचमढ़ी में नागद्वारी मेला शुरू हो गया है। 21 अगस्त तक चलने वाले इस मेले में हर साल हजारों की संख्या में भक्त पहुंचते हैं। 16 किमी की पहाड़ी यात्रा पैदल पूरी करने वाले भक्तों में युवा, महिलाएं, बुजुर्ग और बच्चे भी उत्साह से शामिल होते हैं।
यात्रा के लिए चाहिए साहस
नागद्वारी आने की इच्छा कम लोगों की ही पूरी होती है। यह पचमढ़ी की पश्चिम दिशा में स्थित है। मान्यता है कि नागद्वारी की यात्रा बहुत कठिन है। यह एक ऐसी यात्रा है, जिसको साहस, हौंसले और धैर्य के बलबूते पर ही पूरा किया जा सकता है। यहां आने की इच्छा रखने वाले व्यक्ति में जोखिम उठाने का हुनर होना जरूरी है। श्रावण मास में तो नागपंचमी के 10 दिन पहले से ही कई प्रांतों के श्रद्धालु, विशेषकर महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के भक्तों का आना प्रारंभ हो जाता है।
यहां मौजूद है नागदेवता सैकड़ों मूर्तियां
नागद्वारी के अंदर चिंतामणि की गुफा है। यह गुफा 100 फीट लंबी है। इस गुफा में नागदेव की मूर्तियां विराजमान हैं। स्वर्ग द्वार चिंतामणि गुफा से लगभग आधा किमी की दूरी पर एक गुफा में स्थित है। स्वर्ग द्वार में भी नागदेव की ही मूर्तियां हैं। श्रद्धालुओं का ऐसा मानना है कि जो लोग नागद्वार जाते हैं, उनकी मांगी गई मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है।
भक्तों को नुकसान नहीं पहुंचाते सांप
आज से लगभग 100 वर्ष पूर्व आरंभ हुई नागद्वारी की यात्रा कश्मीर की अमरनाथ यात्रा की तरह ही अत्यंत कठिन और खतरनाक है। कई मायनों तथा परिस्थितियों में तो यह उससे भी ज्यादा खतरनाक और चुनौतीपूर्ण मानी गई है। ऊंची-नीची तथा दुर्गम पहाडिय़ों के बीच बने रास्तों पर श्रद्धालुओं के लिए किसी तरह का आश्रय अथवा विराम स्थान न होने के कारण भक्तों को लगातार चलते ही रहना है। गर्मियों के मौसम को छोड़कर यहां हमेशा कोहरा बना रहता है। इस कोहरे तथा ठंड के मध्य यात्रा करने का अपना अलग ही आनंद है। नागद्वारी की यात्रा करते समय रास्ते में आपका सामना कई जहरीले सांपों से हो सकता है, लेकिन राहत की बात है कि यह सांप भक्तों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाते हैं।