रुद्र यंत्र पर शिवलिंग, श्रीयंत्र की छत, गन्ने के रस से अभिषेक

बड़वानी/मप्र से विवेक पाराशर @धरती के रंग। जिला मुख्यालय से लगभग 10 किमी दूर धार जिले की सीमा स्थित नर्मदा तट पर ग्राम बोधवाड़ा में भगवान आशुतोष का प्राचीन मंदिर स्थापित है। इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि मां नर्मदा की परिक्रमा के दौरान देवताओं ने इस शिवलिंग की स्थापना की थी।

माना जाता है कि यहां स्थापित शिवलिंग 11 फीट जमीन के नीचे व लगभग सवा फीट जमीन के ऊपर मौजूद है। पुरातत्व विभाग इंदौर द्वारा लगाए गए बोर्ड के अनुसार इस मंदिर की स्थापना 12वीं शती में अर्थात लगभग 900 वर्ष हुई है।

बोधवाड़ा स्थित शिव मंदिर निर्माण की भी अपनी अलग व धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण विशेषताएं हैं। मंदिर का चबूतरा रुद्र यंत्र के समान आकृति का बना है वहीं छत श्रीयंत्र के रूप में बनाई गई है। आध्यात्मिक महत्व जानने वाले श्रद्घालुओं की मानें तो इस तरह की विशेषताओं वाला अपने आप में यह एकमात्र मंदिर है। मां नर्मदा के उत्तर तट पर स्थापित होने से भी इसका अधिक महत्व है।

श्री प्राप्ति के लिए है विशेष महत्व
रुद्र यंत्र पर शिवलिंग की स्थापना और श्रीयंत्र की छत इस मंदिर की अनोखी विशेषता है। माना जाता है कि श्रीयंत्र का पूजन आर्थिक स्थिति को बेहतर करने के लिए किया जाता है। इस मंदिर में श्री व रुद्र यंत्र के साथ प्राचीन शिवलिंग का पूजन श्री प्राप्ति के लिए विशेष है। यहां गन्ने के रस से भगवान आशुतोष का अभिषेक किया जाता है। मंदिर के महत्व का उल्लेख नर्मदा पुराण में भी मिलता है।
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