नोटों पर सवार हैं 78 संक्रामक बीमारियों के वायरस

क्या आपको पता है कि जो रुपए आप हाथ में लेते हैं वो आपके स्वास्थ्य के लिए कितने हानिकारक हैं। इन रुपयों में टीबी, डिसेन्ट्री और अल्सर फैलाने वाले खतरनाक संक्रमण मौजूद हो सकते हैं। ख़ास तौर पर उन रुपयों में जो पुराने हो रहे हैं या फिर जो ज़्यादा चलते हैं जैसे दस, बीस, और सौ रुपए के नोट। 

यूँ समझ लीजिए कि इन नोटों के ज़रिए आपके अंदर बीमारियां पहुँच रही हैं। 'इंस्टिट्यूट ऑफ़ जियोनॉमिक्स एंड इंटिग्रेटिव बायोलॉजी' यानी 'आईजीआईबी' के वैज्ञानिकों ने इन नोटों की डीएनए जांच में ख़तरनाक संक्रमण फैलाने वाले कुल 78 रोगाणुओं का पता लगाया है। 

इसमें 'राइबोसोमल आरएनए' नामक तकनीक अपनाई गई। इससे पहले इस तकनीक से कम्प्यूटर, साबुन और बाजार में बिकने वालों कपड़ों की जांच में भी इसी तरह के संकेत मिले हैं। 

कीटाणु मुक्त नोट
'आईजीआईबी' के वैज्ञानिक मानते हैं कि शोध के नतीजे चौंकाने वाले हैं क्योंकि इनका सरोकार हर इंसान से है। शोधकर्ताओं की पांच सदस्यों वाली टीम का नेतृत्व करने वाले 'आईजीआईबी' के वरिष्ठ वैज्ञानिक एस रामचंद्रन ने कहा कि शोध के बाद इतना तो समझ में आया है कि ज़्यादा चलने वाले नोटों को कीटाणु मुक्त करना ज़रूरी है। 

शोध के लिए नोटों के नमूनों को दिल्ली के बाज़ारों, रेहड़ी वालों और सब्ज़ी की दुकानों से इकठ्ठा किया गया था। कई देशों में करंसी नोटों को रोगाणु मुक्त करने की व्यवस्था है। इसके लिए मशीनें भी आती हैं जिनसे नोटों को रोगाणु मुक्त किया जाता है। मगर भारत में इसका उपयोग नहीं होता है। अलबत्ता पुराने नोटों को बदलने की व्यवस्था ज़रूर है.

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