लखनऊ। हमारे जेहन में सरकारी स्कूल की जो छवि है उसमे टपकती छतें, गंदे टॉयलेट, टूटी बेंचें, गंदे यूनिफार्म में बच्चे, फ़टी-पुरानी किताबों से पढ़ते बच्चे, क्लास के नाम पर सीलन से भरा कमरा और टाटपट्टी पर बैठे बच्चे।
मगर आज आप चौंक जाएंगे इस सरकारी स्कूल को देखकर, जहां सुविधाएं फाइव स्टार होटल जैसी है। इस स्कूल ने सरकारी स्कूल का ट्रेंड ही बदल कर रख दिया। स्मार्ट क्लासेज किड और एक्टिविटी ज़ोन टॉय फर्नीचर, सीसीटीवी, बड़े और हवादार कमरों से लैस ये हैं चिल्ड्रेन पैलेस। देखकर तो नहीं लगता मगर आपको जानकर ताज्जुब होगा कि ये एक सरकारी स्कूल हैं।
सरकारी स्कूलो में जहां टीचर स्कूल में पढ़ाने से ज़्यादा स्वेटर बुनने और छुट्टी लेने में मशगूल रहते हैं वहीं इस स्कूल में टीचर वक्त की पाबंद और अपने स्टूडेंट्स के साथ हर एक्टिविटी में पार्टिसिपेट करती दिख जाएंगी। आज के दौर में जब गार्जियन स्टेट्स सिंबल के पीछे पागल हैं, अवेयर्ड और पैसे से मज़बूत गार्जियन शायद ही अपने बच्चों को सरकारी स्कूल भेजने की सोचते होंगे। इस स्कूल ने एक अलग मुकाम बनाया हैं।
चिल्ड्रेन पैलेस की प्रिंसिपल सरिता सिंह ने बताया कि स्कूल की नींव 1951 में रखी गई थी उस वक्त कुल 5 बच्चों से शुरु हुए इस स्कूल में आज साढ़े 400 बच्चे पढ़ रहे हैं। स्कूल के पीछे टीचर्स की मेहनत और लगन साफ देखी जा सकती हैं। वहीं नगर आयुक्त उदयराज सिंह की माने तो स्कूल में वेल-क्वालीफाईड़ टीचर्स को ही जगह दी जाती हैं ताकि स्कूल का एटमॉस्फेयर बच्चों की बुनियाद मजबूत कर सकें और उससे भी बड़ी बात ये कि लखनऊ नगर निगम इसे बगैर एक पैसे के अनुदान के सिर्फ अपने खर्च पर चला रहा हैं। अगर सरकारी मशीनरी जुट जाएं तो सरकारी स्कूलों को स्टेट्स सिंबल बनते देर नही लगेगी।