भोपाल। सत्ता अपने साथ विकृतियां लाती ही है। भाजपा के नेताओं को इन विकृतियों से बचाने के लिए आरएसएस एक योजना के तहत संगठन मंत्रियों को इनके बीच काम करने के लिए भेजता है ताकि नियंत्रण बना रहे। एक प्रकार से आरएसएस के संगठनमंत्री राजगुरू की भूमिका में होते हैं, परंतु मध्यप्रदेश में तैनात आरएसएस के संगठन मंत्री तो लेविस लाइफ के लती हो गए हैं। राजनीति में दखल देते हैं। कई इलाकों में तो ऐसा लगता है मानो विधायक डिप्टी कलेक्टर, जिलाध्यक्ष पटवारी और संगठन मंत्री कलेक्टर की पॉवर में है। बिना चुनाव जीते सत्ता के आनंद उठा रहे हैं।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की पृष्ठभूमि से आने वाले संगठन मंत्रियों को सादगी और ईमानदारी का प्रतीक माना जाता है। पारिवारिक बंधनों और मोहमाया से दूर वो संगठन के लिए काम करते हैं, इस विचार के साथ कि वो देश के लिए काम कर रहे हैं परंतु बदलते दौर में अधिकांश संगठन मंत्री सुविधा और सत्ताभोगी हो गए है।
एयरकंडीशनंड कमरों और लेविस लाइफस्टाइल जीने के आदी हो रहे संगठन मंत्रियों की शिकायतों का दौर बढ़ता जा रहा है। कई स्थानों पर उनकी विधायकों से ही पटरी नहीं बैठ रही है तो कई जिलाध्यक्ष भी संगठन मंत्रियों की शिकायत कर चुके हैं।
सूत्रों के मुताबिक संगठन ने शहडोल में काम कर रहे पूर्णकालिक मनोज सरैया, सिवनी के संगठन मंत्री हुकुमचंद गुप्ता, धार के पूर्णकालिक उमाकांत भार्गव और खरगौन-बड़वानी के संगठन मंत्री शैलेन्द्र कुशवाह को घर बैठाने का तय कर लिया है। इन पर यह कार्यवाही लगातार मिल रही शिकायतों के मद्देनजर की गई है। इसके अलावा होशंगाबाद के संगठन मंत्री जितेन्द्र लिटौरिया और विंध्य के दो और संगठन मंत्रियों को लेकर संगठन में विचार चल रहा है।
