भोपाल। प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता केके मिश्रा ने व्यापमं महाघोटाले के दौरान मेडिकल कालेज, इंदौर की छात्रा नम्रता डामोर की पहली हत्या के प्रकरण में राज्य सरकार और माफियाओं के दबाव में पुलिस अधिकारियों द्वारा पोस्टमार्टम रिपोर्ट को हत्या के स्थान पर आत्महत्या तब्दील किए जाने को लेकर उनके विरूद्ध भारतीय दंड संहिता की धारा 166,167 और 201 के तहत आपराधिक प्रकरण दर्ज करने की मांग की है।
आज यहां जारी अपने बयान में मिश्रा ने कहा कि व्यापमं महाघोटाले में अब तक 51 संदिग्ध मौतें हो चुकीं है, जिनमें पहली हत्या एम.जी.एम. मेडिकल काॅलेज, इंदौर की छात्रा नम्रता डामोर की हुई थी। हत्या और लाश बरामदगी के बाद घटनास्थल उज्जैन जिले का होने के कारण उसका पोस्टमार्टम उज्जैन के ही डाक्टरों के पैनल ने न केवल किया था बल्कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उसकी हत्या गला घोटने के बाद होना स्पष्ट तौर पर बताया था किन्तु स्थानीय पुलिस ने इस महाघोटाले को संरक्षण दे रही राज्यसरकार और माफियाओं के दबाव में हत्या की पोस्टमार्टम रिपोर्ट को आत्महत्या में तब्दील कर प्रकरण का खात्मा तक कर डाला। पोस्टमार्टम करने वाले पैनल के दो वरिष्ठ डाक्टरों ने न केवल इस बात का खुलासा किया है कि हमारी रिपोर्ट में नम्रता की मौत का कारण गला घोटकर की गई हत्या बताया गया है, यही नहीं इस पोस्टमार्टम रिपोर्ट के दस्तावेज भी सोशल मीडिया पर वायरल हो चुके है, जिसकी प्रति कांग्रेस के पास भी मौजूद है।
मिश्रा ने कहा कि चूंकि अब सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर इस महाघोटाले और इससे संबंद्ध आज तक हुई सभी 51 मौतों की जांच भी सीबीआई को सौंपने के आदेश निर्देश जारी हो चुके हैं, इसके बाद राजनैतिक दबाव के कारण मानवीय संवेदनाओं से दूर-दूर तक रिश्ता नहीं रखने वाली स्थानीय पुलिस का वास्तविक चरित्र भी भ्रष्टाचारियों के साथ उजागर हो जायगा। अतएव आवश्यक है कि उज्जैन के तत्कालीन पुलिस मुखिया, संबंधित थाने के सी.एस.पी. निरीक्षक, और जांच अधिकारी के विरूद्ध भादवि की धारा 166, 167 और 201 के तहत आपराधिक प्रकरण दर्ज किया जाए।