व्यापमं: ये रहा CBI जांच की सिफारिश के पीछे का सच

भोपाल। जो व्यक्ति कल तक सीबीआई जांच की सिफारिश को सुप्रीम कोर्ट की अवमानना करार दे रहा था, लोग आश्चर्यचकित हैं कि अचानक उसका मन कैसे बदल गया। सिफारिश के साथ शिवराज ने बताया कि वो रातभर सो नहीं सके, लेकिन सवाल यह है कि ऐसा क्या था जो उनकी नींद उड़ा गया था। आइए हम बताते हैं आपको, व्यापमं मामले में सीबीआई जांच की सिफारिश के पीछे का सच :

अमित शाह का फोन
सूत्रों के मुताबिक, मंगलवार को सुबह दिल्ली से अमित शाह का फोन आया। मुश्किल से पांच मिनट हुई बातचीत के बाद मुख्यमंत्री सीबीआई जांच की जिस मांग को लगातार खारिज कर रहे थे, उसे अचानक मान लिया। हाईकोर्ट को तत्काल चिठ्ठी भी भेज दी। इसके चंद मिनटों बाद ही मुख्यमंत्री ने आनन-फानन में प्रेस कॉन्फ्रेंस बुला कर इसकी जानकारी मीडिया में सार्वजनिक कर दी। यह फैसला इसलिए भी हो गया क्योंकि मंगलवार को ही सुबह यह खबर आई कि सुप्रीम कोर्ट ने मप्र के राज्यपाल रामनरेश यादव को हटाने के लिए दायर याचिका के साथ व्यापमं से जुड़ी अन्य सभी याचिकाओं को क्लब (एक साथ सुनवाई) कर लिया है।

ओह, तो इसलिए रातभर सो नहीं सके शिवराज
दरअसल, सोमवार को मुख्यमंत्री ने अपने खास सलाहकारों, कानून के जानकारों और मंत्रियों से भी चर्चा की और मीटिंग्स का यह दौर मंगलवार सुबह तक जारी रहा। इसी बीच अमित शाह से भी बातचीत हो गई तो मुख्यमंत्री ने महाधिवक्ता (एडवोकेट जनरल) रवीश चंद्र अग्रवाल और अतिरिक्त महाधिवक्ता पुरुषेंद्र कौरव (एडिशनल एडवोकेटट जनरल) को सीएम हाउस बुलाया। उनसे बात करने के बाद सीएम मंत्रालय आ गए। दूसरी ओर, स्टेट प्लेन से अग्रवाल व कौरव राज्य सरकार का आवेदन लेकर जबलपुर चले गए। सीएम ने जांच सीबीआई को सौंपने के निर्णय की चर्चा सुबह 11 बजे हुई कैबिनेट बैठक में भी नहीं की। बैठक के बाद कुछ मंत्री पीछे-पीछे मुख्यमंत्री के चैंबर तक गए, लेकिन शिवराज ने उन्हें कुछ भी नहीं बताया।

सुप्रीम कोर्ट का प्रेशर
राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा है कि व्यापमं घोटाले से जुड़े सभी मामलों की एक साथ सुनवाई 9 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में है। इसे लेकर राज्य सरकार को डर था कि यदि सुप्रीम कोर्ट कोई बड़ा आदेश दे देता है तो परिस्थितियां सरकार के हाथ से बाहर हो जाएंगी। यदि सुप्रीम कोर्ट के कहने पर राज्य सरकार को जांच सीबीआई को सौंपने पर मजबूर होना पड़ा तो पार्टी की किरकिरी होगी। इसीलिए पहले ही सीबीआई जांच की पहल कर दी गई।

कैलाश विजयवर्गीय के ढाई घंटे
हालांकि गलियारों की यह चर्चा भी पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित दिख रही है। हाल ही में बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव बनाए गए कैलाश विजयवर्गीय ने सोमवार से ढाई घंटे तक बातचीत की थी। इसके भी राजनीतिक मायने समझे जा रहे हैं। बता दें कि शिवराज समर्थक अक्सर आरोप लगाते हैं कि व्यापमं घोटाले को हवा देने में कैलाश विजयवर्गीय की बढ़ी भूमिका है।

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