भोपाल। मप्र हाईकोर्ट ने आज एक ऐसा फैसला सुनाया कि प्रदेश के कई करोड़पतियों के माथे से पसीने फूट पड़े। पूरा 1000 करोड़ का काला कारोबार अधर में लटक गया। 387 नालायक अब कभी डॉक्टर नहीं बन पाएंगे, क्योंकि जबलपुर हाईकोर्ट ने गंदे नाले को गंदा बनाने का आदेश जारी कर दिया है।
प्राइवेट मेडिकल एंड डेंटल कॉलेजों में एमबीबीएस और बीडीएस कोर्स में दाखिले के लिए 12 जुलाई को होने वाली डीमेट परीक्षा की आंसरशीट की स्कैनिंक होगी। उम्मीदवारों की आंसरशीट की स्कैन कॉपी एसोसिएशन ऑफ प्राइवेट डेंटल एंड मेडिकल कॉलेज को हाईकोर्ट में जमा करना होगी। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने यह निर्देश गुरुवार को रतलाम के पूर्व विधायक पारस सखलेचा की याचिका पर सुनवाई के बाद दिए हैं। इस आदेश के बाद निजी कॉलेजों में हड़कम्प की स्थिति है। दरअसल, आशंका जताई जा रही है कि 387 सीटें बेची गई हैं।
ये होने वाला था
निजी मेडिकल कॉलेज संचालकों ने मैनेजमेंट कोटे की करीब 387 सीटें उम्मीदवारों को बेच दी हैं। 12 जुलाई को होने वाली डीमेट-2015 परीक्षा में सीट खरीदने वाले छात्रों की ओएमआर आंसरशीट के स्थान पर दूसरी आंसरशीट रखने की आशंका थी। छात्रों से कह दिया गया था कि वो ओएमआर सीट खाली छोड़कर आएं, ताकि उन्हे बाद में भरा जा सके। इससे डीमेट-2015 की मेरिट में कॉलेज संचालकों से सीट खरीदने वाले छात्रों के नाम ही मेरिट लिस्ट में होते। इन्हें बाद में दिखावे की डीमेट काउंसलिंग के मार्फत कॉलेज आवंटित कर दिए जाते।
डीमेट फॉर यूजी से 7 मेडिकल कॉलेजों में मैनेजमेंट कोटे की 400 एमबीबीएस और 14 डेंटल कॉलेजों की करीब 600 बीडीएस सीटों पर एडमिशन होंगे। एग्जाम 12 शहरों में 21 परीक्षा केंद्रों पर होंगे। इनमें से 12 परीक्षा केंद्र दिल्ली, अहमदाबाद, पटना, जयपुर, रायपुर और लखनऊ में बनाए गए हैं। वहीं प्रदेश के भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर, रीवा और उज्जैन में डीमेट के लिए 9 परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं। परीक्षा को पारदर्शी बनाने सभी परीक्षा केंद्रों पर प्रवेश एवं शुल्क निर्धारण विनियामक समिति (एएफआरसी) के सेंटर आब्जर्वर मौजूद रहेंगे।
यह है आरोप...
याचिका में आरोप लगाया गया कि वर्ष 2007 से 2014 तक डीमेट के एनआरआई और पीएमटी कोटे की 50 प्रतिशत सीटें अवैधानिक रूप से मैनेजमेंट कोटे में बदलकर बेच दी गईं। अकेले 2010 से 2013 के बीच पीएमटी कोटे की कुल 1533 सीटों में से प्रवेश के अंतिम दिन 721 सीटों को निरस्त कर मैनेजमेंट कोटे में डालकर नीलाम की गईं। इनमें कॉलेज संचालकों के अलावा कई प्रभावशील लोग शामिल हैं, जिन्होंने लाखों रुपए कमाए। डीमेट परीक्षा केवल दिखावा थी, नीलामी द्वारा मेरिट लिस्ट पहले ही तैयार कर ली जाती थी।
याचिका रतलाम के पूर्व विधायक पारस सखलेचा ने लगाई थी।