सोमवार को शिलांग में अंतिम सांस लेने से पहले पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम को आखिरी बार सहारा देने वाले सृजन पाल सिंह (कलाम के सहयोगी) ने साझा किए उनके आखिरी पल....
‘दोपहर तीन बजे हम दिल्ली से गुवाहाटी पहुंचे। वहां से कार से शिलांग के लिए निकले। ढाई घंटे लगे पहुंचने में। आमतौर पर कलाम कार में सो जाया करते थे लेकिन इस बार बातें करते रहे। शिलांग में खाना खाकर हम आईआईएम पहुंचे। वे लेक्चर देने स्टेज पर गए। मैं पीछे ही खड़ा था। उन्होंने मुझसे पूछा- ऑल फिट? मैंने कहा- जी साहब।
दो सेंटेंस ही बोले होंगे कि गिर पड़े। मैंने ही उन्हें बांहों में उठाया। उन्हें हॉस्पिटल ले आए। पर बचा नहीं सके। साहब हमेशा कहते थे कि मैं टीचर के रूप में ही याद किया जाना चाहता हूं। और पढ़ाते-पढ़ाते ही चले गए। उन्होंने आखिरी लाइन कही थी कि धरती को जीने लायक कैसे बनाया जाए?
शिलांग के रास्ते में कह रहे थे कि संसद का डेडलॉक कैसे खत्म किया जाए? फिर कहने लगे कि आईआईएम के स्टूडेंट्स से ही पूछूंगा।
-सृजन पाल सिंह ( कलाम के सहयोगी)
एक बात का था अफसोस
कलाम को जिंदगीभर इस बात का अफसोस रहा कि वह अपने पैरेंट्स को उनकी जिंदगी के दौरान कभी 24 घंटे बिजली नहीं दे पाए।
संसद चलने की थी चिंता
सिंह के मुताबिक कलाम ने उनसे कहा, “मैंने कई सरकारों को देखा है लेकिन संसद में हंगामा होता ही रहता है। आप कुछ ऐसे सवाल तैयार करें जो मैं लेक्चर के आखिर में स्टूडेंट्स से पूछ सकूं। वह स्टूडेंट्स से यह पूछना चाहते थे कि वे हमारे देश की संसद को सही ढंग से चलाने के लिए क्या इनोवेटिव आईडियाज दे सकते हैं।”
ये थी लास्ट विश
सिंह ने पूर्व राष्ट्रपति की अंतिम इच्छा के बारे में बात करते हुए कहा, “कलाम देश के करोड़ों लोगों के चेहरे पर करोड़ों स्माइल्स देखना चाहते थे। वह चाहते थे रूरल इंडिया में तेजी से डेवलपमेंट हो। वह यूथ एम्पॉवरमेंट को लेकर भी बात करते थे। अब जबकि कलाम नहीं हैं, हमें उनके आईडियाज को ज्यादा यूज करने की जरूरत है।”
