ऐसे तो हर खेत में पानी पहुंचने से रहा

राकेश दुबे@प्रतिदिन। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना महत्वाकांक्षी योजना की जितनी चर्चा होनी चाहिए, नहीं हो रही। ऐसा नहीं है कि इसके पहले सिंचाई को लेकर भारत में काम नहीं हुआ, लेकिन एक मिशन के रूप में कि इसकी जिम्मेदारी स्वयं प्रधानमंत्री ने ली हो, पहले कभी नहीं हुआ। हर खेत हो पानी के तहत कृषि योग्य क्षेत्र का विस्तार, खेतों में जल के इस्तेमाल की दक्षता को बढ़ाना, ताकि पानी का अपव्यय न हो सके और सिंचाई और पानी बचाने के लिए नई तकनीक को अपनाना। हमारी मौजूदा सिंचाई व्यवस्था में पानी के बचत की कोई सोच नहीं है। इसकी जानकारी भी ज्यादातर किसानों को नहीं है। इसका एक और महत्वपूर्ण पहलू है इस संबंध में किसानों की जानकारी को बढ़ाना और उनको प्रशिक्षित करना। इसके बाद निवेश आए, लेकिन कहीं ज्यादा और कहीं कम नहीं। इनमें एकरूपता लाना।

पांच साल में इसके लिए 50 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इसमें और वृद्धि भी की जा सकती है। हमारे देश में कुल 14.2 करोड़ हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि में से 65 प्रतिशत में सिंचाई सुविधा नहीं है। यानी केवल 35 प्रतिशत भूमि तक ही सिंचाई व्यवस्था पहुंच सकी है। कृषि उपज को जहां होना चाहिए, वहां लाना है और किसानों के लिए उसे लाभकारी व आकर्षक बनाना है, तो सबसे पहली आवश्यकता हर खेत तक पानी पहुंचाना है। इस योजना के तहत कृषि-जलवायु की दशा और पानी की उपलब्धता के आधार पर जिला व राज्य स्तरीय योजनाएं बनाई जाएंगी, जो इसकी व्यावहारिकता को बढ़ाता है। यह इसलिए भी आवश्यक है कि कृषि राज्य का विषय है और राज्यों के सहयोग पर ही इसकी सफलता निर्भर करेगी।

हमारे पास नदियों से नहर निकालने, बांध बनाने, छोटी नहरों, नलकूपों आदि के अनुभव हैं और वे बहुत संतोषजनक नहीं हैं। जलाशयों के निर्माण या पुराने जलाशयों को पुनर्जीवित करने के प्रयास भी हो रहे हैं। नदी जोड़ो परियोजना की पहचान करने और उस दिशा में तत्काल कार्य शुरू करने के कदम उठाए जा रहे हैं। हालांकि इसकी सफलता को लेकर मतभेद हैं। लेकिन मनरेगा  के तहत जल संरक्षण कार्य को बढ़ावा देने की कोशिश जारी रहने का लाभ मिलेगा|इसलिए सिंचाई योजना को मिशन मोड में चलाना सबसे बड़ी जरूरत है, तभी हर खेत तक पानी पहुंच पाएगा।

श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क  9425022703
rakeshdubeyrsa@gmail.com


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