राकेश दुबे@प्रतिदिन। धन्य हो, भारतीय जनता पार्टी मध्य प्रदेश और उसके मुख्यमंत्री। जिन्हें यह साबित करने की जरूरत आ पड़ी है कि वे हाथ में राजदंड होते हुए भी सीटी बजाते रहे। वह भी इतने सुंदर तर्क के साथ कि “व्यापम में घोटाले उनके आने के पहले से होते रहे हैं , वे तो विह्सिल ब्लोअर हैं”। पहले कार्यकाल को “ भरत राज” मान भी लिया जाये, तो बाद में तो जनता ने आपको राजदंड सौपा था।
आपने कुछ नहीं किया, सिर्फ सीटी बजाते रह गये और वह भी ऐसी, जिसकी आवाज़ किसी को सुनाई न दे। यूँ तो हर सरकार में विभिन्न पदों की खातिर होने वाली भर्ती परीक्षाओं में धांधली और नियुक्तियों में भाई-भतीजावाद के ढेरों उदाहरण मिल जाएंगे। लेकिन आपके राज्य का व्यापमं घोटाला अपूर्व है। इससे पहले शायद ही किसी घोटाले ने इतने लोगों की जान ली हो।
शिवराज जी, आपकी यह दलील है कि हरेक मौत को घोटाले से नहीं जोड़ा जा सकता सही नहीं है, मामले की जांच के दौरान कुछ स्वाभाविक मौत हो सकती है। व्यापमं से जुड़े नामों की फेहरिस्त बड़ी लंबी है। आरोपियों और गवाहों समेत चालीस से ज्यादा लोगों की मौत क्या महज संयोग है? कदापि नहीं।
यह सिलसिला कहां जाकर खत्म होगा! यह सब संयोग मात्र नहीं हो सकता। घोटाले के सूत्रधार जिन से आप भलीभांति परिचित है सबूतों को नष्ट करने और जांच को अंतहीन बनाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। घोटाले में शामिल होने के आरोप कई प्रभावशाली लोगों पर भी हैं और उन्हें यह भय सताता होगा कि अगर मामले की जांच तर्कसंगत परिणति तक पहुंचेगी तो वे कहीं के नहीं रहेंगे।
आपकी ही मान ले तो व्यापमं घोटाला 2013 में उजागर हुआ, पर यह कई साल से चल चल रहा था। तत्समय आपके हाथ इतने शक्तिहीन किन कारणों से हुए, आप ही बता सकते हैं। अंत:पुर की अंतहीन कथाओं का पुट भी राज्य के इस शोकाध्याय में प्रतिध्वनित होता है।
भारतीय जनता पार्टी लोक लज्जा निवारणार्थ , रैली भी निकालेगी, आपके मुकुट पर मंडराती श्याम छबि को यहाँ-वहां से रोशनी डालकर चमकाएगी भी लेकिन इससे लोग यह नहीं भूल पाएंगे कि उन्होंने आपको राजदंड सौपा था और आप सीटी बजाते रहे।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
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