जरूर पढ़िए: ऐसे जालसाज डॉक्टरों से रहिए सावधान

ग्वालियर। शहर के एक हॉस्पिटल और पैथोलॉजी लैब संचालक ने मोटा पैसा कमाने के लिए एक महिला मरीज को फेल्सीफेरम मलेरिया बता दिया। प्लेटलेट्स की संख्या भी केवल 13 हजार बता दी। मरीज की हालत गंभीर न होने के बाद भी उसे आईसीयू में भर्ती कर लिया और तुरंत प्लेटलेट्स का इंतजाम करवाने के लिए महिला के पति को बोल दिया। जबकि महिला को सिर्फ हाईपीबी की शिकायत थी।

पति ने संदेह होने पर दूसरे डॉक्टर से चेकअप करवाया और दो अन्य लैब में जांच करवाई। इन जांचों में मरीज को न तो मलेरिया निकला न ही प्लेटलेट्स की संख्या 13 हजार निकली। दूसरी लैब की जांच रिपोर्ट में प्लेटलेट्स की संख्या 3.3 लाख निकली। महिला के पति ने डॉक्टरों की इस लापरवाही पर वकील के माध्यम से कानूनी नोटिस जारी करवाया है।

नोटिस का जवाब न आने पर उपभोक्ता फोरम में भी उन्होंने डॉक्टरों की शिकायत की है। नईसड़क पर अग्रवाल पूड़ी भंडार के संचालक संतोष अग्रवाल ने बताया कि उनकी पत्नी मंजू अग्रवाल को 30 मई को ब्लड प्रेशर बढ़ने से घबराहट हो रही थी। वह उन्हें स्वास्थ्य हॉस्पिटल के संचालक डॉ.राजीव अग्रवाल के पास लेकर पहुंचे।

डॉ. अग्रवाल ने चेकअप किया और ब्लड की जांच करवाने के लिए उनकी पत्नी डॉ.शैफाली अग्रवाल के पास भेज दिया। डॉ.शैफाली सेवा डायग्नोस्टिक पैथोलॉजी लैब की संचालक हैं। यहां ब्लड सैंपल लिया गया। शाम को जब जांच रिपोर्ट आई तो इसमें फेल्सीपेरम मलेरिया बताया गया।

इसके साथ ही प्लेटलेट्स की संख्या मात्र 13 हजार बताई। डॉ.राजीव अग्रवाल ने रिपोर्ट देखते ही तुरन्त आईसीयू में भर्ती कर दिया और बताया कि मरीज की जान जोखिम में है। संतोष ने बताया कि उनकी पत्नी को केवल घबराहट हो रही थी, फिर भी आईसीयू में भर्ती कर दिया। संतोष को कुछ संदेह हुआ तो दूसरे दिन उन्होंने डिस्चार्ज करवा लिया।

इसके बाद वह डॉ.आरके बंसल के पास लेकर पहुंचे। डॉ.बंसल ने रिपोर्ट देखकर तुरंत दिल्ली ले जाने की बात कही। इसके बाद संतोष अग्रवाल ने पत्नी की दोबारा जांच करवाने का निर्णय लिया। पहले उन्होंने जीकेवी डायग्नोस्टिक सेंटर पर जांच करवाई। यहां मलेरिया नहीं निकला और प्लेटलेट्स की संख्या 3.3 लाख निकली।

इसके बाद उनका माथा ठनका और अगले दिन डॉ.लाल पैथोलॉजी पर जांच करवाई। यहां भी मलेरिया नहीं निकला और प्लेटलेट्स की संख्या 3.3 लाख निकली। संतोष तुरंत डॉ.बंसल के पास गए और रिपोर्ट दिखाई तो डॉ.बंसल भी दंग रह गए।

राजीनामे के लिए घर आए डॉक्टर
डॉ.अग्रवाल ने संतोष को इस मामले में राजीनामा करने के लिए कहा, लेकिन संतोष वहां से चले आए। संतोष ने वकील के माध्यम से कानूनी नोटिस भिजवाया। कानूनी नोटिस का जबाव नहीं दिया तो अब संतोष ने उपभोक्ता फोरम में गुहार लगाई है।

संतोष ने बताया कि डॉक्टर दंपत्ति उनके घर आए और माफी मांगकर कहने लगे कि वह उनकी पत्नी का मुफ्त में इलाज करेंगे। इस पर संतोष ने कहा कि मेरी पत्नी को कुछ हुआ ही नहीं है तो आप इलाज क्या करेंगे। मंजू को मलेरिया था ही नहीं और डॉ.अग्रवाल ने उनका मलेरिया का इलाज शुरू कर दिया। ऐसे में अगर संतोष समय रहते सचेत नहीं होते तो उनकी पत्नी मंजू की जान को खतरा भी हो सकता था।

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