जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने गुरुवार को अपने एक महत्वपूर्ण आदेश में साफ किया कि अपनी मर्जी से पति का घर छोड़कर मायके में रहने वाली महिला पति से भरण-पोषण की हकदार नहीं है।
इस मामले में महिला के वकील ने उसकी मानसिक बीमारी का भी हवाला दिया लेकिन कोर्ट ने इसे भी यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यदि महिला बीमार थी तो उसके पति को शादी के पहले भी अंधेरे में रखा गया। कोर्ट ने इस मामले में महिला की दांडिक रिवीजन खारिज कर दी।
न्यायमूर्ति सीवी सिरपुरकर की एकलपीठ में गुरुवार को यह मामला सुनवाई के लिए लगा। महिला के पति की ओर से अधिवक्ता सुशील कुमार मिश्रा, आशीष कुमार तिवारी और अरविन्द सिंह चौहान ने दलील दी महिला अपनी मर्जी से मायके में रह रही है। वह ऐसा कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर सकी है, जिससे यह साबित हो सके कि वह अपनी ससुराल में किसी तरह की प्रताड़ना या दुर्व्यवहार आदि के कारण मायके में रहने को मजबूर हुई है। लिहाजा, उसकी रिवीजन खारिज किए जाने योग्य है।
