भारत में कुंवारी माँ को मिली मान्यता

भोपाल। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को ऐतिहासिक फैसले में व्यवस्था दी कि अविवाहित मां अपने बच्चे की अकेली अभिभावक बन सकती है। इसमें उसके पिता की स्वीकृति लेने की आवश्यकता नहीं है।

इस फैसले में कोर्ट ने आगे कहा कि मां को उसके पिता की पहचान बताने की भी जरूरत नहीं है और न ही अभिभावक के लिए दी गई अर्जी में उसे पार्टी बनाने की कोई आवश्यकता है।

जस्टिस विक्रमजीत सेन की पीठ ने कहा कि बच्चे के कल्याण के मद्देनजर पिता को नोटिस देने जैसे प्रक्रियात्मक कानूनों को तिलांजलि दी जा सकती है। पीठ ने सरकारी सेवारत एक अविवाहित ईसाई महिला की याचिका पर यह फैसला दिया। इसमें उसने अभिभावक बनने के लिए दी जाने वाली याचिका में पिता की पहचान का खुलासा करने के नियम को चुनौती दी थी। वह भी तब जब उसने कभी बच्चे के पिता से शादी ही न की हो। याचिका में उसने कहा कि बच्चे के पिता को पता भी नहीं है कि बच्चा है भी या नहीं।

अभिभावक तथा बालक कानून और हिन्दू माइनोरिटी एंड गार्जियशिप एक्ट के तहत बच्चे का अभिभावक बनने के लिए उसके पिता की मंजूरी लेना आवश्यक है। इस मामले में महिला ने इस कानूनी शर्त पर सवाल उठाए और कहा कि ज्यादा जानकारी दोनों के लिए ज्यादा समस्याएं पैदा करेगी। क्योंकि बच्चे का पिता पहले से शादीशुदा है और उसके बच्चे भी हैं।

भोपाल समाचार से जुड़िए
कृपया गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें यहां क्लिक करें
टेलीग्राम चैनल सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें
व्हाट्सएप ग्रुप ज्वाइन करने के लिए  यहां क्लिक करें
X-ट्विटर पर फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें
फेसबुक पर फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें
समाचार भेजें editorbhopalsamachar@gmail.com
जिलों में ब्यूरो/संवाददाता के लिए व्हाट्सएप करें 91652 24289

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!