भोपाल। सरगम प्रकाश होनहार छात्रा थी, लेकिन व्यापमं घोटाले के चलते उसे सरकारी मेडिकल कॉलेज में सीट नहीं मिल पाई। उससे कम योग्य छात्र घोटाले के कारण सरकारी सीटें हासिल कर ले गए। बाद में जब सीट खाली हुई तब भी सरगम को अपग्रेड नहीं किया गया। सरगम की पढ़ाई का खर्चा जुटात जुटाते सरगम के पिता की मौत हो गई। यदि व्यापमं घोटाला ना होता तो पूरा परिवार खुशहाल होता।
यह दर्द है सरगम प्रकाश की मां सुनीता प्रकाश का। वो कहतीं हैं बेटी को सरकारी मेडिकल कॉलेज में दाखिला नहीं मिला। मजबूरन इंदौर के अरविंदो मेडिकल कॉलेज में स्टेट कोटे की सीट पर एडमिशन कराना पड़ा। गड़बड़ी के जरिए 100 से ज्यादा छात्रों के एडमिशन सरकारी मेडिकल कॉलेजों में हुए थे। ये एडमिशन बाद में निरस्त हुए। खाली सीटों पर भी सरकार ने सरगम को सीट अपग्रेड कराने का मौका नहीं दिया। नतीजतन अब 35 हजार रुपए सालाना फीस वाली एमबीबीएस की पढ़ाई पर पांच लाख रुपए चुका रहे हैं। सरकारी कॉलेजों में खाली हुई सीट पर ट्रांसफर कराने के लिए सरगम के पापा आनंद प्रकाश ने सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लड़ी। हम सब हताश थे। मई 2015 में इसी तनाव में उनकी हार्ट अटैक से मृत्यु हो गई। हम बेटी की पढ़ाई पर हर साल साढ़े तीन लाख रुपए बेवजह दे रहे हैं। यह बचता ताे 18 लाख रुपए कम खर्च होते। हम इस बजट को दो छोटे भाई-बहनों की पढ़ाई में लगाते। इस घोटाले का आखिरी कुसूरवार भी सलाखों के पीछे जाना चाहिए। वही इंसाफ की सच्ची जीत होगी। हमें भरोसा है ऐसा होगा।
