व्यापमं: पढ़िए दिग्गज को दुत्कारती कैलाश की कलम

भोपाल। अंतत: व्यापमं मामले में दिग्गज भाजपाईयों के बीच संघर्ष शुरू हो ही गया। हिमाचल के दिग्गज भाजपा नेता शांता कुमार का एक खत मीडिया में सार्वजनिक हुआ तो जवाब में शिवराज ने चिट्टी लिखी और सार्वजनिक भी की। अब मप्र के दिग्गज भाजपाई कैलाश सारंग ने भी शांता कुमार को दुत्कार लगाती एक चिट्टी लिखी है। क्या लिखा है, आप खुद पढ़ लीजिए:-


भाजपा कार्यकर्ता का सिर व्यापमं के आरोपों से नहीं आपकी चिट्ठी से झुका है

माननीय शांता कुमार जी,
पता नहीं आपको मेरा चेहरा और नाम ध्यान में है या नहीं एक अर्सा हो गया है आपसे प्रत्यक्ष मुलाकात के। मैं भी आपकी ही उम्र का एक छोटा कार्यकर्ता हूं। शायद एक या दो साल छोटा। मेरी गणना भी भाजपा के उन कार्यकर्ताओं में होती है जो जनसंघ केे संस्थापक सदस्य माने जाते है।

पार्टी ने मुझे संगठन के विभिन्न पदों पर काम करने का अवसर दिया और राज्यसभा में भी भेजा। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, जनसंघ और भारतीय जनता पार्टी की सेवा करते हुए मुझे 65 सालों से भी ज्यादा समय बीत गया है। राजनीति की इन कटीली राहों में मैंने भी बहुत उतार चढ़ाव देखें हैं लेकिन इतना हतप्रभ मैं कभी नहीं हुआ जितना मीडिया में आपके पत्र को देखकर हुआ। क्योंंकि अभी तक मेरी नजर में आपकी छवि एक अनुशासन प्रिय तपस्वी नेता की बनी हुई थी।

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित जी शाह को लिखे आपके पत्र में कुल तीन बिन्दु हैं। एक यह कि व्यापम घोटाले की खबरों से भाजपा कार्यकर्ता का सिर शर्म से झुक गया है। दूसरा यह कि पार्टी एक आचार समिति का गठन करे और तीसरा यह कि पूरे देश की राजनीति छल कपट और स्वार्थ की बन गई है। मैं इन तीनों बिंदुओं के दर्शन आपके ही भीतर अनुभव कर रहा हूं सबसे पहला तो यह कि मध्यप्रदेश में व्यापम घोटाले पर कार्यवाही सामने आने के बाद भाजपा कार्यकर्ता का सिर शर्म से झुका नहीं बल्कि गर्व से तना है।

इसका कारण यह है कि यह मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह का साहस है, नैतिकता है और प्रशासनिक शुचिता लाने का संकल्प है कि यह घोटाला उन्होंने खुद उजागर किया। निष्पक्ष और पारदर्शी जांच के लिए जो हो सकता था वह किया और जब सीबीआई जांच की मांग आई तो वह भी माना। विधानसभा (230 में 165 भाजपा) प्रदेश की सभी 16 नगरनिगम, नगर पंचायत में करारी हार के कारण मध्यप्रदेश में हताश और निराश कांग्रेस ने केवल झूठ का बवंडर खड़ा किया है कांगे्रस ने जो दस्तावेज दिए वे भी झूठे और कूट रचित निकले। आपने बिना सच्चाई जाने सीधा पत्र लिख दिया, मीडिया को जारी कर दिया।

आपके इस काम को क्या माना जाए। क्या यह आपकी अदूरदर्शिता, अयोग्यता, ढलती उम्र का परिचायक और पार्टी के संस्कारों पर सवाल खड़े करने वाला है? दिल्ली में बहुत लोग हैं, जो आपको सत्य से अवगत करा सकते थे। सांसद हैं, पार्टी के पदाधिकारी हैं, विषयों के जानकार हैं, जिनसे आप एक बार तो पूछ लेते। सत्य आपके सामने स्वयं आ जाता। व्यापम घोटाले का पर्दाफाश करने के लिए मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान को शाबाशी मिलनी चाहिए थी। इसके बजाए आप कांग्रेस के कुप्रचार को शाबाशी दे रहे हैं और अपने ईमानदार लोगों को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं। आखिर क्यों?, इसके पीछे आपकी मंशा क्या है?, नियत क्या है और इरादा क्या है?

आपका दूसरा बिन्दु है कि इससे भाजपा कार्यकर्ता का सिर शर्म से झुक गया है। शांता कुमार जी, आपका पत्र मीडिया में पढ़ने के बाद मेरी कार्यकर्ताओं से बात हुई। आपका पत्र मीडिया में पढ़ने के बाद सब हतोत्साहित हुए सबने माना कि आपने ‘‘पौरुष के हाथी’’ की भांति आपने अपनी ही फौज को तितर-बितर करने का काम किया है। यह मामला एक प्रशासनिक मामला था, भ्रष्टाचार का मामला था लेकिन कांग्रेस ने इसे सड़क की राजनैतिक लड़ाई बना दी है। भाजपा कार्यकर्ता उससे मुकाबले के लिए, कांग्रेस के झूठ का पर्दाफाश करने के लिए सड़क पर जूझ रहा है, लेकिन आपके पत्र ने उनकी लड़ाई को कमजोर किया है, भाजपा कार्यकर्ता हतोत्साहित हुआ है। उसका सिर आपके पत्र से झुका है।

आपका यह कहना कि आचार समिति का गठन किया जाना चाहिए तो श्रीमान आपका यह पत्र, उसे मीडिया को जारी करना, पत्र की भाषा, और पत्र के माध्यम से अपने ही कार्यकर्ताओं को हतोत्साहित करना सबसे बड़ी आचार हीनता है, इसके दायरे में तो आप ही आते है। आपको सबसे पहले कटघरे में खड़ा किया जाना चाहिए।  आपका तीसरा बिन्दु कि राजनीति स्वार्थ और छल कपट की हो गई है। मुझे पत्र पढ़कर ऐसा लगा कि आपका मन स्वयं स्वार्थ में डूबा हुआ है। आप मुख्यमंत्री रहे, पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रहे। अभी सांसद है लेकिन लगता है अभी आप अतृप्त है। ढलती उम्र में भी आपकी पद लालसा बढ़ रही है। स्वयं आप मंत्री बनना चाहते है, या कहीं राज्यपाल बनना चाहते हैं इसीलिए आप अपने स्वार्थ के लिए, राजनैतिक महत्वाकांक्षा के लिए ऐसे आचरण पर उतर आए और पत्र लिखकर सुर्खियों में आ गए।

मेरा आपसे अनुरोध है कि श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा भेजा गया पत्र और स्पष्टीकरण आपको मिल गया होगा यदि आपमें नैतिकता है, पार्टी संस्कारों की शिक्षा है तो सार्वजनिक तौर पर खेद व्यक्त कीजिए, ठीक उसी प्रकार मीडिया में दीजिए जैसा आपने अपने पत्र को जारी किया। मैं आपको यह भी बताना चाहूंगा कि मैं भी इस पत्र को मीडिया में जारी कर रहा हूं चूंकि पत्र को मीडिया में जारी करने की परंपरा तो आपने डाल दी है।

कुछ अनुचित लगे तो क्षमा प्रार्थी
आपका
(कैलाश ना. सारंग)
पूर्व संसद सदस्य

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