वेतन निर्धारण में गलती: मप्र शासन पर जुर्माना

गुना। 23 साल पहले सहायक शिक्षक से पदोन्नति पाने वाली एक शिक्षिका के वेतन निर्धारण में हुई गफलत को लेकर हाईकोर्ट ने मप्र शासन पर 5 हजार का जुर्माना लगाया है।

मामला हाईकोर्ट में शिक्षिका पुष्पा देसाई का है जिनकी 1992 में प्रधानाध्यापक के रूप में पदोन्नति हुई थी। हाईकोर्ट में उनके मामले की पैरवी करने वाले वकील एमके चामलीकर ने बताया कि नियमानुसार पदोन्नति पर शिक्षिका को एक इंक्रीमेंट का लाभ मिलना चाहिए था। मूलभूत नियम 22-डी में इस बात का प्रावधान है। पर वित्त विभाग के 1998 में जारी एक सर्कुलर के आधार पर उन्हें न केवल इससे वंचित कर दिया गया, बल्कि उक्त इंक्रीमेंट के रूप में भुगतान की गई राशि भी वेतन से वसूल ली गई। यह राशि 31 हजार 93 रुपए थी।

क्यों की गई कटौती
दरअसल जब शिक्षिका की पदोन्नति हुई थी, तब उनका वेतनमान प्रधानाध्यापक के समकक्ष ही था। इसलिए यह माना गया कि इस आधार पर उन्हें मूलभूत नियम 22-डी का लाभ नहीं दिया जा सकता। हाईकोर्ट के जज जस्टिस सुजॉय पॉल ने शिक्षिका के वकील की ओर से दी गईं दलीलों को सही मानते हुए आवेदिका को अनावश्यक परेशान करने के लिए प्रदेश सरकार पर 5 हजार का जुर्माना लगाया।

12 फीसदी ब्याज देना होगा
यही नहीं यह आदेश भी दिया कि शिक्षिका को उसी तारीख से 22-डी का लाभ दिया जाए, जब उन्हें पदोन्नति मिली थी। उस आधार पर उनका वेतनमान पुनरीक्षित कर शेष राशि का भुगतान 12 प्रतिशत ब्याज के साथ करने का आदेश भी दिया गया है। पूर्व में काटी गई राशि भी लौटाने को कहा।

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