भोपाल। राज्य शासन ने प्रायमरी और मिडिल स्कूल के शिक्षकों की शैक्षणिक योग्यता में वृद्धि के समुचित अवसर उपलब्ध करवाने के लिये वन-स्टेप-अप योजना को स्वीकृति दी है।
योजना का लाभ वे ही शिक्षक उठा पायेंगे, जो स्कूल शिक्षा, आदिम-जाति विकास, नगरीय निकाय या पंचायत विभाग के किसी भी विद्यालय में नियमित अध्यापक या सहायक अध्यापक हों। आयु 45 वर्ष से अधिक नहीं हो तथा योग्यता डी.एड. या बी.एड. परीक्षा उत्तीर्ण हों। संविदा शिक्षक वर्ग-2 एवं 3 इसके लिये पात्र नहीं होंगे।
योजना उन सभी शिक्षक के लिये बँधनकारी होगी, जो निर्धारित आयु, सेवा अवधि एवं शैक्षणिक योग्यता के अनुसार पात्रता रखते हैं। अर्थात उनकी सेवा अवधि एक जुलाई, 2015 को 15 वर्ष की नहीं हुई है। ऐसे शिक्षक जिनकी आयु एक जुलाई, 2015 को 45 वर्ष या उससे अधिक है, उनके लिये यह योजना स्वेच्छिक होगी।
योजना में शिक्षक चयन-सूची डीईओ द्वारा तैयार की जायेगी। सूची में से वरीयता के अनुसार सहायक अध्यापकों का चयन संबंधित महाविद्यालय में प्रवेश के लिये किया जायेगा। महाविद्यालय विषयवार उपलब्ध स्थान की संख्या के अनुपात के अनुसार प्रवेश के लिये शिक्षकों का चयन होगा। सामान्यत: शिक्षकों को उनके जिले/ब्लॉक के ही महाविद्यालय में प्रवेश दिया जायेगा।
महाविद्यालय में स्थान उपलब्ध न होने पर संभाग के अन्य महाविद्यालय में प्रवेश दिलवाया जायेगा। प्रवेश केवल शासकीय तथा अनुदान प्राप्त अशासकीय महाविद्यालय में ही दिया जायेगा। गैर अनुदान प्राप्त अशासकीय महाविद्यालय में किसी भी स्थिति में प्रवेश नहीं दिलवाया जायेगा। चयनित शिक्षकों को उच्च शिक्षा विभाग के ई-प्रवेश पोर्टल पर योजना के लिये एक विशेष माड्यूल उपलब्ध करवाया जायेगा।
शासन ने अध्यापकों को दो या तीन साल के लिये महाविद्यालय में नियमित विद्यार्थी के रूप में प्रवेश दिलवाने को कहा है। शासकीय विद्यालय के ऐसे सहायक अध्यापक, जो मात्र उच्चतर माध्यमिक परीक्षा उत्तीर्ण हैं, उन्हें गणित या विज्ञान विषय में स्नातक तक तथा जो अध्यापक स्नातक हैं, उन्हें विज्ञान या गणित में स्नातकोत्तर की शिक्षा उपलब्ध करवायी जायेगी। महाविद्यालय में पढ़ने की अवधि में अध्यापक को पूरा वेतन मिलेगा। कार्यक्रम की अवधि 3 से 4 साल तक होगी।
इसके बाद वह स्वमेव समाप्त हो जायेगा। स्कूल से शिक्षकों की अनुपस्थिति की प्रतिपूर्ति अतिथि शिक्षकों से की जायेगी। योजना का पूरा व्यय स्कूल शिक्षा विभाग करेगा। निर्धारित अवधि में पाठ्यक्रम पूरा नहीं करने वाले या परीक्षा में सहभागिता अथवा अनुत्तीर्ण होने पर अध्यापक को अगले वर्ष की परीक्षा शुल्क स्वयं भरना होगा। परीक्षा के लिये उसे अतिरिक्त अवकाश नहीं मिलेगा। संबंधित अध्यापक की एक वेतन वृद्धि भी असंचयी प्रभाव से रोकी जायेगी।
कार्यक्रम में असफल होने या बिना किसी कारण के बीच में ही छोड़ने वाले शिक्षकों के बारे में शासन द्वारा उचित समय पर यथायोग्य अनुशासनात्मक फैसला लिया जायेगा। विद्यार्थी-ध्यापकों को महाविद्यालय के उपस्थिति नियमों का पालन करना जरूरी होगा। सफलता से अध्ययन के बाद जिले के विद्यालयों में उनका पदांकन किया जायेगा। ऐसे सभी अध्यापक, जो किसी महाविद्यालय में प्रवेश लेंगे, उनकी दो या तीन वर्ष की अध्ययन अवधि शासकीय कर्त्तव्य पर मानी जायेगी। जिला शिक्षा अधिकारी समय-समय पर महाविद्यालय के प्राचार्य से चर्चा कर शिक्षकों की उपस्थिति की समीक्षा करेंगे।