नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि कर्मचारी को पेंशन देना एहसान नहीं है। कोर्ट ने यह टिप्पणी राजस्थान के करीब 250 सेवानिवृत्त कॉलेज शिक्षकों के हक में फैसला सुनाते हुए की। बृहस्पतिवार को न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि बेदाग रहते हुए अगर कोई व्यक्ति काम करता है तो उसे पेंशन से महरूम नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने यह भी कहा है कि नियोक्ता को अपने कर्मचारियों के प्रति सही रवैया अपनाना चाहिए।
राजस्थान सरकार ने याचिकाकर्ता सेवानिवृत्त शिक्षकों को संशोधित वेतनमान के तहत पेंशन देने से इनकार कर दिया था, जबकि वे इसकी पात्रता रखते थे। शीर्ष अदालत ने राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली राज्य सरकार की याचिका खारिज कर दी। फैसले में पीठ ने राज्य सरकार से कहा कि तीन महीने के भीतर सभी सेवानिवृत्त शिक्षकों को संशोधित पेंशन दिया जाए। देरी होने की स्थिति में सरकार को ब्याज सहित यह रकम चुकानी पड़ेगी। पीठ ने राज्य सरकार की उस दलील को भी खारिज कर दिया कि जिसमें कहा गया था कि याचिकाकर्ता सेवानिवृत्त शिक्षकों को यह लाभ देने से सरकार पर बहुत अधिक वित्तीय बोझ पड़ेगा।
