जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने अपना रुख साफ करते हुए कहा कि डीमेट परीक्षा में गड़बड़ी रोकने हर संभव कदम उठाया जाएगा। इस परीक्षा की शुचिता और पारदर्शिता बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे।
मुख्य न्यायाधीश अजय माणिकराव खानविलकर व जस्टिस केके त्रिवेदी की युगलपीठ ने इससे पूर्व डीमेट परीक्षा के कारण दो पीढ़ियां बर्बाद होने को लेकर तल्ख टिप्पणी की थी। इसी कड़ी में सोमवार को कोर्ट ने राज्य के मेडिकल-डेंटल कोर्स की पढ़ाई करने के इच्छुक होनहार छात्र-छात्राओं के हक में अहम वादा किया।
देश की सर्वोच्च एजेंसी
सुनवाई के दौरान मध्यप्रदेश के निजी मेडिकल डेंटल कॉलेजेस के संगठन एसोसिएशन ऑफ प्राइवेट डेंटल एंड मेडिकल कॉलेजेस (एपीडीएमसी) की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रविनंदन सिंह ने पक्ष रखा। उन्होंने विगत निर्देश के पालन में सीलबंद लिफाफे में डीमेट ऑनलाइन परीक्षा के संबंध में जानकारी प्रस्तुत की। उन्होंने साफ किया कि एपीडीएमसी ने जिस एजेंसी का नाम प्रस्तावित किया है वह देश की पांच सर्वोच्च एजेंसीज में से एक है।
सकलेचा ने दर्ज कराई आपत्ति
बहस के दौरान जनहित याचिकाकर्ता रतलाम के पूर्व विधायक पारस सकलेचा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आदर्शमुनि त्रिवेदी खड़े हुए। उन्होंने सकलेचा की ओर से ऑनलाइन परीक्षा के संदर्भ में घोर आपत्ति दर्ज कराई। साथ ही सवाल उठाया कि 9 जुलाई को हाईकोर्ट ने 12 जुलाई को होने वाले डीमेट एग्जाम के सिलसिले में जो निर्देश जारी किए थे, उनका पालन क्यों नहीं किया गया? आखिर ऐसी क्या आफत आ गई कि संपूर्ण तैयारी होने के बावजूद डीमेट परीक्षा स्थगित कर दी गई? इसके लिए हाईकोर्ट से विधिवत अनुमति क्यों नहीं ली गई?
तकनीकी सुझाव प्रस्तुत किए
जनहित याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि यदि हाईकोर्ट डीमेट ऑनलाइन की अनुमति देता है तो उस स्थिति में कुछ तकनीकी सुझावों का भी पालन कराया जाना आवश्यक है। इसके तहत डाटा-बेस प्रशासक बतौर किसी विशेषज्ञ की नियुक्ति की जाए।
रितु वर्मा की ओर से अन्य एजेंसी का सुझाव
नरसिंहपुर निवासी छात्रा रितु वर्मा के अधिवक्ता आदित्य संघी ने एक अन्य अपेक्षाकृत सक्षम एजेंसी का नाम हाईकोर्ट के समक्ष रखा। उन्होंने कहा कि जिस एजेंसी का नाम एपीडीएमसी ने प्रस्तावित किया है, उसके मुकाबले यह एजेंसी अधिक सक्षम साबित होगी।
