व्यापमं: हाईकोर्ट में लोकायुक्त ने किया जांच से इंकार

ग्वालियर। व्यापमं घोटाले की जांच कर रही एसआईटी पर रिश्वतखोरी के गंभीर आरोप लगे हैं। हाईकोर्ट में दर्ज एक याचिका में आरोप है कि एसआईटी की वसूली के दवाब के चलते कुछ आरोपियों ने आत्महत्या कर लीं। हाईकोर्ट ने इस मामले की जांच के लिए लोकायुक्त को आदेशित किया था लेकिन लोकायुक्त ने जांच से इंकार कर दिया।

बुद्ध सिंह हिंडोलिया की जमानत की सुनवाई के दौरान अधिवक्ता उमेश कुमार बोहरे ने हाईकोर्ट को बताया था कि एसआईटी पैसों के लिए लोगों को प्रताड़ित कर रही है। एसआईटी का स्टाफ स्मार्ट फोन के लिए रुपए मांग रहा है। जो लोग पैसे नहीं दे रहे हैं, उनको प्रताड़ित किया जा रहा है। आरोपी एसआईटी की प्रताड़ना से तंग आ गए हैं और उनकी मौत हो रही है। डॉ.राजेन्द्र तरेटिया, डॉ.सतेन्द्र टैगोर से भी पैसे मांगे थे, लेकिन रुपए नहीं देने पर एसआईटी ने काफी मारपीट की थी। एसआईटी को पैसे भी दिए थे। हाईकोर्ट ने रिश्वत मांगने के मामले में डॉ. तरेटिया व टैगोर का शपथ पत्र मांगा था। दोनों ने शपथ पत्र देकर एसआईटी पर आरोप लगाया था कि प्रताड़ना से बचने के लिए 15-15 हजार रुपए दिए थे। हाईकोर्ट ने इन आरोपों की जांच के लिए 6 जुलाई को लोकायुक्त को आदेश दिए थे।

शपथ पत्र में यह दिए हैं तथ्य
डॉ.तरेटिया के केस की जांच पूरी हो चुकी है। कोर्ट में चालान भी पेश हो चुका है। बावजूद इसके झांसी रोड थाना व थाटीपुर पुलिस बार-बार थाने बुला रही है और पैसे मांग रही है। 15 हजार रुपए भी पुलिस को देने पड़े हैं।

डॉ.राजेन्द्र तरेटिया ने बताया कि डॉ.राजेन्द्र आर्य मरने के कुछ दिन पहले मुझसे से मिले थे। तब वह काफी परेशान थे। डॉ.आर्य ने बताया था कि एसटीएफ परेशान कर रही है। अगर उनकी मांग पूरी नहीं की तो किसी दूसरे अपराध में फंसा देगी। डॉ.आर्य व डॉ.तरेटिया सेंट्रल जेल में एक साथ रहे थे। डॉ. तरेटिया ने बताया कि अखबार से मुझे डॉ.आर्य की मौत की खबर मिली थी। डॉ.राजेन्द्र तरेटिया और डॉ. सतेन्द्र टैगोर अभी जमानत पर हैं।

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