मप्र शासन से नाराज ADM ने वीआरएस लिया

ग्वालियर। वक्त पर प्रमोशन न मिलने से अपने साथियों से पिछड़ चुके संयुक्त कलेक्टर विवेक श्रोत्रिय ने वीआरएस का फार्म भरकर नौकरी छोड़ दी है। उन्होंने नौकरी के बीस साल पूरे होने का इंतजार किया। यदि वे वीआरएस का फार्म बीस साल की नौकरी से पहले भरते तो उन्हें न तो पेंशन मिलती न छुट्टी व अन्य तरह के पेमेंट। श्री श्रोत्रिय ने ग्वालियर में बतौर संयुक्त कलेक्टर 2 मार्च 2015 को ज्वाइन किया था।

ग्वालियर तबादला होने के बाद से ही श्री श्रोत्रिय ने वीआरएस की प्लानिंग पर काम चालू कर दिया था। पहले तो उन्होंने कमर में दर्द के कारण लंबी छुट्टी ली। इसके बाद वे ज्वाइन तो हो गए पर काम में ज्यादा रुचि नहीं ली। सूत्र बताते हैं कि श्री श्रोत्रिय ने लंबे समय तक मालवा क्षेत्र में नौकरी की है।

उन्होंने 17 जुलाई 1995 को नौकरी ज्वाइन की थी। इस हिसाब से 17 जुलाई 2015 को बीस साल पूरे होने थे। दस दिन के अवकाश के बाद वे 17 जुलाई को ज्वाइन हुए, इसी दिन उनकी नौकरी के बीस साल पूरे हो चुके थे। बीस जुलाई को फिर दफ्तर पहुंचे और वीआरएस का फार्म लेकर वापस आ गए। अगले दिन 21 जुलाई को उन्होंने वीआरएस का फार्म दफ्तर में सौंपा।

संयुक्त कलेक्टर श्री श्रोत्रिय लंबे समय तक इंदौर में भू अर्जन अधिकारी के रूप में पदस्थ रहे। उन्होंने इंदौर विकास प्राधिकरण की स्कीम में शामिल निपनिया व कबीटखेड़ी में जमीन अधिग्रहण के बाद 1.17 करोड़ के चेक जारी किए। इसे सामान्य प्रशासन विभाग ने गलत मानते हुए कुछ समय पहले उन्हें नोटिस जारी किया था। श्रोत्रिय ने कहा कि मैं तो बीस साल की सेवा पूरी होने का इंतजार कर रहा था। मेरे खिलाफ कहीं पर भी कोई विभागीय जांच नहीं चल रही है।

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