भोपाल। एक गर्भवती महिला का बिना इजाजत गर्भपात करने वाले डॉक्टरों के खिलाफ उपभोक्ता फोरम ने 18 लाख रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है। इस लापरवाही के कारण पीड़िता की मौत हो गई थी।
मामला शाहजहांनाबाद स्थित आदर्श अस्पताल और लिथोट्रिप्सी सेंटर प्रबंधन और उसके डाॅक्टरों के खिलाफ है। जिला उपभोक्ता फोरम भोपाल में अक्षय जैन ने 11 दिसंबर 2006 को शिकायत में बताया कि 25 सितंबर 2002 को वे दो माह की गर्भवती पत्नी प्रीति जैन की जांच करने के लिए डॉक्टर बीएम लोया के नर्सिंग होम आदर्श अस्पताल लेकर पहुंचे। डाॅक्टर साधना लोया प्रीति को परीक्षण कक्ष में ले गई और कुछ ही देर बाद आकर कहा कि पत्नी की स्थिति खराब है। 5 हजार रुपए जमा करवाए। जब डाॅक्टर से पूछा पत्नी को हुआ क्या है, तो पता चला कि उसका गर्भपात करने के लिए शल्य क्रिया की और कुछ जटिलताओं के चलते प्रीति की स्थिति खराब हो गई। इसके बाद डाक्टर बीएम लोया और साधना लोया दोनों उनकी पत्नी का इलाज करते रहे। शाम पांच बजे डाक्टर ने बताया कि प्रीति की मौत हो गई।
अक्षय ने पुलिस को सूचना दी। पोस्टमार्टम में खुलासा हुआ कि प्रीति की मौत गर्भाशय में छेद होने, पेल्विक केविटी में काफी मात्रा में खून भरने के कारण हुई थी।
फोरम ने गवाहों, साक्ष्यों को सुनने के बाद पाया कि अस्पताल प्रबंधन और डाॅक्टर गर्भपात करने के लिए अधिकृत ही नहीं हैं। यही नहीं गर्भ का चिकित्सकीय समापन अधिनियम 1971 के तहत गर्भपात के लिए न तो प्रीति जैन और न ही उनके पति अक्षय जैन की सहमति ली गई थी।
फोरम के अध्यक्ष अखिलेश पंड्या और सदस्य सुनील श्रीवास्तव ने कहा कि मृतक प्रीति जैन स्कूल में हेडमास्टर के पद पर थीं। उनकी मौत के बाद पति और चार वर्षीय बेटी काम्या उनकी आय से वंचित हो गए। प्रीति की मौत से आवेदक को शारीरिक, मानसिक और आर्थिक क्षति हुई है, जिसकी भरपाई नहीं की जा सकती।
दो महीने में देना होगा हर्जाना
फोरम ने अस्पताल प्रबंधन और डॉक्टरों को संयुक्त और पृथक रूप से 18 लाख रुपए दो माह में देने के आदेश दिए। इसके अलावा 11 दिसंबर 2006 से 16 जुलाई 2015 तक की अवधि का 6 प्रतिशत की दर से वार्षिक ब्याज देने का आदेश दिया। फोरम ने आदेश दिया कि दो माह में पूरी रकम की
अदा न करने पर अनावेदकों को 9 प्रतिशत वार्षिक पर ब्याज और देना होगा।