scholarship scam: दोनों अधिकारियों ने जड़ डाले अपने अपने ताले

जबलपुर। अल्पसंख्यक विभाग में हुए स्कॉलरशिप स्कैम की हाइट देखिए कि दो अधिकारियों ने एक सरकारी आफिस में अपने अपने ताले जड़ डाले। पूरे 24 घंटे तक आफिस बंद रहा। दूसरे दिन कलेक्टर के आदेश पर अपर कलेक्टर ने ताले खुलवाए। राजनीति अब भी चालू है और स्कॉलरशिप स्कैम की जांच भी।

दरअसल, मामला पूरी तरह स्कॉलरशिप घोटाले की जांच से जुड़ा होना बताया जा रहा है। मैडम आदिवासी विकास विभाग की तमाम लापरवाहियों को उजागर कर चुकी हैं, लेकिन अचानक ही नियमों से उलट उनका तबादला कर दिया गया। मंगलवार की शाम होते तक ये खबर भी सामने आई कि मैडम का तबादला आदेश निरस्त कर दिया गया है, लेकिन इस बात की पुष्टी अधिकारी नहीं कर सके।

जांच के दस्तावेज इसी दफ्तर में रखे
जिले में संचालित होने वाले 50 से ज्यादा कॉलेजों में छात्रवृत्ति वितरण गलत तरीके से हुआ है। इस बात की जांच लोकायुक्त से लेकर ईओडब्ल्यू के पास चल रही है। इससे पहले अल्पसंख्यक विभाग की सहायक संचालक जेएस विलसन को तत्कालीन कलेक्टर विवेक पोरवाल ने आदिवासी विकास विभाग का भी प्रभार सौंपा था। मैडम ने कई स्तरों पर गड़बड़ी को पकड़ा और कुछ लिपिकों और कर्मचारियों को निलंबित भी किया गया। जिस विभाग में ताला डाला गया है उसी के पास घोटाले और कॉलेज प्रबंधनों की जांच से जुड़े दस्तावेज रखे हैं।

  • ऐसे रहे मामले
  • एससी-एसटी छात्रों के नाम पर निजी व तकनीकी कॉलेजों में साल 2009-10 से 2011 तक आवंटन में गड़बड़ी की शिकायतें मिली थीं। क्योंकि कॉलेज प्रबंधन के खाते में ही करोंड़ो रुपए की छात्रवृत्ति भेजी जाती थी। फिर कॉलेज वाले अपने छात्रों को स्कॉलरशिप बांटते थे। गड़बड़ी यही से शुरू हुई जो अब तक कालेज वालों को परेशान कर रही है।
  • जिन छात्रों के नाम पर छात्रवृत्ति कॉलेज वाले मांगते थे, वास्तविकता में वो छात्र उस कॉलेज में पढ़ता ही नहीं था। ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं।
  • यही हाल ओबीसी की छात्रवृत्ति में भी देखने मिला है, लेकिन साल 2011 के बाद से ही अल्पसंख्यक विभाग का सेटअप नए सिरे से तैयार कर दिया गया। मैडम के खिलाफ भी कुछ प्रकरणों में जांच चल रही है।


ऐसे खुला ताला और हुए सवाल जवाब
दरवाजों पर जड़े तालों की चाबी सहायक संचालक जेएस विलसन से ली गई और अपर कलेक्टर ने ताला अपने सामने खुलवाया, लेकिन अपर कलेक्टर के सामने आरएस दीक्षित ने अपना ताला लगाना स्वीकार किया। तकरीबन आधा घंटे से ज्यादा समय तक अपर कलेक्टर उसी कमरे में मौजूद रहे। किसी भी दूसरे विभागीय स्टाफ और सहायक संचालक को भी अंदर नहीं दिया गया। विभाग की कैश बुक को क्लियर करने कहा गया। सहायक संचालक ने पूछताछ में एडीएम को बताया कि उनके दफ्तर में आवश्यक दस्तावेज मौजूद थे, जिसके चलते दूसरे प्रभार लेने वाले अधिकारी को चाबी नहीं सौंपी गई, लेकिन श्रीमती विलसन ये नहीं बता पाईं कि आखिर पूरे दिन उन्होंने दफ्तर क्यों बंद रखा।

अपर कलेक्टर कार्यालय को लिखित में जानकारी दी गई है कि ताला मेरे द्वारा नहीं लगाया गया था। ताले के ऊपर किसी ने अपना ताला लगा दिया था। अभी प्रभार दूसरे अधिकारी को नहीं सौंपा गया है।
जेएस विलसन, सहायक संचालक

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ताला लगाने के मामले की रिपोर्ट बनाई जा रही है। जिसे कलेक्टर कार्यालय को सौंपा जाएगा। दोनों अधिकारियों ने अपने ताले लगा दिए थे, जिन्हें मंगलवार को खुलवाया गया।
एबी सिंह, अपर कलेक्टर

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