नई दिल्ली। एक विधवा से रेप के आरोपी शख्स को बरी करते हुए दिल्ली की एक अदालत ने सवाल किया है कि क्या बलात्कार के आरोप से बरी हुए व्यक्ति को 'बलात्कार पीड़ित'(rape survivors) के रूप में देखा जाना चाहिए। अडिशनल सेशन जज निवेदिता अनिल शर्मा ने यह टिप्पणी हरियाणा निवासी आरोपी को बरी करते हुए की।
बलात्कार का आरोप लगाने वाली महिला अपनी शिकायत से मुकर गई और उसने कहा कि अब वह आरोपी के साथ सुखी शादीशुदा जिंदगी बिता रही है। अदालत ने कहा कि आजकल हर जगह लोगों में इस बात को लेकर गुस्सा है कि अदालतें बलात्कार के आरोपियों को दोषी नहीं ठहरा रही हैं। लेकिन किसी भी व्यक्ति या रेप के आरोपी को तब तक दोषी नहीं ठहराया जा सकता, जब तक गवाह अभियोजन पक्ष का समर्थन नहीं करते या कोई ठोस सबूत मुहैया नहीं कराते। इस मामले में पीड़िता ही मुकर गई।
न्यायाधीश ने कहा कि मुकदमे की सुनवाई के दौरान काफी समय जेल में बिताने वाले आरोपी को पीड़िता की इस गवाही के बाद बाइज्जत बरी किया जाता है कि आरोपी ने उसका बलात्कार नहीं किया था और उसकी सहमति से ही इस व्यक्ति ने शारीरिक संबंध स्थापित किया था। उन्होंने कहा कि क्या ऐसे व्यक्ति को ही बलात्कार पीड़ित के तौर पर संबोधित किया जाना चाहिए।
अभियोजन के अनुसार, इस साल 11 मार्च को महिला ने पुलिस को बताया था कि आरोपी ने शादी का वादा करके उसके साथ जबरदस्ती शारीरिक संबंध बनाए। इस महिला का सात साल पहले तलाक हो चुका था और उसके तीन बच्चे हैं। महिला ने दावा किया था कि वह आरोपी को लंबे समय से जानती थी, क्योंकि वह उसके गांव से जुड़ी है। सुनवाई के दौरान महिला अपने बयान से मुकर गई।
