उपदेश अवस्थी/भोपाल। सुगबुगाहट मिल रही है कि कांग्रेस के स्टार प्रचारक ज्योतिरादित्य सिंधिया इन दिनों पीसीसी प्रेसीडेंट पोस्ट के लिए लॉबिंग कर रहे हैं। अरुण यादव की बिफलताएं और विधानसभा चुनावों में चुनाव अभियान समिति के समय सिंधिया को मिली लोकप्रियता का प्रॉपर प्रजेंटेशन तैयार किया जा चुका है। राहुल गांधी की टीम से होने के कारण सिंधिया को किसी NOC की जरूरत नहीं है, बस मप्र के बिखरे दिग्गजों को सहमत करना है, जिसकी एक्सरसाइज शुरू हो चुकी है।
सिंधिया इस बार किसी के विरोध के चलते नुक्सान उठाने के मूड में नहीं है, इसलिए पहले होमवर्क किया जा रहा है। सिंधिया विरोधियों से भी किसी ना किसी बहाने रायशुमारी की जा रही है और उनका मन टटोला जा रहा है कि यदि कोई प्रस्ताव आया तो उनका रिएक्शन कैसा होगा।
गुणाभाग लगाए जा रहे हैं। निचोड़ निकला है कि कमलनाथ से कोई परेशानी नहीं होगी। वो समर्थन ही करेंगे। दूसरे छोटे मोटे स्वतंत्र विरोधियों का शिकार कर लिया जाएगा लेकिन दिग्विजय सिंह एक ऐसा हाथी है जिसका ना तो शिकार किया जा सकता है और ना ही उन्हे नजरअंदाज करने का आग्रह हाईकमान से किया जा सकता है। इसलिए तय किया गया है कि दिग्विजय सिंह को राजी करने के लिए कोई फार्मूला निकाला जाए।
पिछले कुछ समय से बस इसी दिशा में काम हो रहा है। सूत्र बोलते हैं कि फिलहाल दिग्विजय सिंह ने कोई सकारात्मक संकेत नहीं दिया है लेकिन इस बार दिग्विजय सिंह ने ऐसी कोई तीखी टिप्पणी भी नहीं की है जो आशाओं को धूमिल करती हो। अब ये चाणक्य की रणनीति है या वो सचमुच सिंधिया के प्रति नर्म होते जा रहे हैं यह तो चाणक्य ही जाने, लेकिन हां इतना जरूर है कि आशाओं पर आसमान आ टिका है। उचित अवसर की तलाश है। पूरे मध्यप्रदेश से एक साथ आवाज उठाई जाएगी। राहुल गांधी तक पहुंचाई जाएगी। ताकि कोई कमी ना रह जाए। सोशल मीडिया पर सिंधिया समर्थकों की चहलकदमी इसी रणनीति का एक हिस्सा है।