भोपाल। प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता केके मिश्रा ने मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान द्वारा अपने पद और अधिकारों का दुरूपयोग कर अपनी पत्नी श्रीमती साधनासिंह (श्रीमती एस.एस. चौहान) के आधिपत्य वाली एस.एस. मिनरल्स, भोपाल को बालाघाट जिले के ग्राम-पौनिया में 17.9 एकड़ भूमि मैग्नीज खदान के लिये आवंटित किये जाने के खुलासे के बाद मुख्यमंत्री परिवार के बचाव में आये उच्च शिक्षा मंत्री उमाशंकर गुप्ता और परिवहन मंत्री भूपेन्द्रसिंह के बयानों और तथ्यों को भ्रामक बताया है।
उन्होंने यहां तक कहा है कि यदि मंत्रीद्वय के कथनों में ईमानदारी है तो वे यह भी स्पष्ट कर दें कि समूचे बालाघाट जिले में मैग्नीज का वैध-अवैध उत्खनन करने वाले संजय-अरूण कौन हैं? साथ ही वे यह भी बता दें कि प्रदेश के खनिज मंत्रालय की वेबसाइट में पहले से दर्ज एस.एस. मिनरल्स का नाम कांग्रेस के उक्त खुलासे के तत्काल बाद क्यों और किसलिए हटा दिया गया है?
आज यहां जारी अपने बयान में मिश्रा ने परिवहन मंत्री भूपेन्द्रसिंह द्वारा उन्हें जेल भेजने की दी गई गीदड़ भभकी पर भी कटाक्ष करते हुए कहा कि वे न्यायाधीश कब से बन गये हैं, लोकतंत्र में विपक्ष की भूमिका राजनैतिक आतंकवाद से समाप्त नहीं की जा सकती है। सफेदपोश भ्रष्टाचारियों को बेनकाव करने के लिए जेल तो क्या ‘‘मैं फांसी के तख्तों को भी चूमने के लिए तैयार हूं।’’ मिश्रा ने मंत्री गुप्ता और सिंह पर यह भी प्रहार किया है कि शायद उन्हें म.प्र. सरकार की ओर से भ्रष्टाचारियों को बचाने की ‘‘फ्रेंचाईजी’’ मिली हुई है।
यदि मंत्रीद्वय के कथन सही हैं तो वे साबित करें कि उक्त 17.9 एकड़ मैग्नीज उत्खनन हेतु आवंटित भूमि को लेकर कांगे्रस ने बालाघाट जिले के ग्राम पौनिया, तहसील तिरोड़ी, विकासखंड कटंगी के खसरा नं. 83,85/2, 125/1, 125/2, 125, 128 का भी उल्लेख किया था, किंतु मंत्री द्वारा कूटरचित दस्तावेजों के माध्यम से फैलाये गये भ्रम में इन खसरों को शामिल क्यों नहीं किया? जिन खसरा नंबरों का श्रीमती लीला भलावी के नाम ग्राम-जगनटोला का उल्लेख कर मैग्नीज खनि-पट्टा स्वीकृति आदेश जारी किया है वह ग्राम-पौनिया से 80 किलोमीटर दूर तहसील-बैहर में स्थित है।
यही नहीं कांग्रेस द्वारा किये गये खुलासे में 11 जनवरी, 2007 से 21 जनवरी, 2017 तक लीज आवंटन की बात कही गई है, जबकि मंत्री द्वारा उल्लेखित आवंटन में 20 वर्ष के आवंटन को बताया गया है, जो सरासर भ्रम की लकीरें फैलाने का प्रयास है। जिन खसरा नंबरों का कांग्रेस ने उल्लेख ही नहीं किया है, उसे भी दर्शा दिया जाना किस नैतिकता का तकाजा है? यही नहीं श्रीमती लीला भलावी को मंत्री द्वारा 5.422 हेक्टेयर खनि-पट्टा आवंटन के दस्तावेज सार्वजनिक किये हैं, जबकि केंद्रीय खनिज मंत्रालय की वेबसाइट में इस नाम पर सिर्फ 2.1 हेक्टेयर पट्टा आवंटन दर्ज है।
मिश्रा ने दोनों ही मंत्रियों से यह भी पूछा है कि बालाघाट जिले में 61 हेक्टेयर भूमि पर ‘कृष्णा माईनिंग एंड टेटिंग सिंडीकेट’ द्वारा किये जा रहे उत्खनन में भी प्रदेश के किस मंत्री की व्यावसायिक भागीदारी है। यही नहीं वे यह भी सार्वजनिक करें कि वर्ष 2008 में मैग्नीज डंप करने का आदेश किस तत्कालीन कलेक्टर ने किसे जारी किया था और इस डंप मैग्नीज को करोड़ों रूपयों में बेचने वाले बंधु कौन हैं?