MPPSC है या पंसारी की दुकान

उपदेश अवस्थी@लावारिस शहर। नए एडमिशन शुरू हो गए हैं। कॉलेजों में पढ़ाई शुरू होने वाली है, कॉलेजों में सहायक प्राध्यापकों के 1642 पद रिक्त हैं और MPPSC अब भी परीक्षा कराने की स्थिति में नहीं। आॅनलाइन के नाम पर 3 बार परीक्षा की तारीखें बदली जा चुकीं हैं। समझ नहीं आ रहा चल क्या रहा है। MPPSC विशेषज्ञों वाला कोई संस्थान है या पंसारी की दुकान। बहाने पर बहाने बनाए जा रहे हैं। 

कल खबर आई कि सहायक प्राध्यापकों की परीक्षा अब जून में भी नहीं हो पाएगी। MPPSC इसे आॅनलाइन कराना चाहती है और अब तक बंदोबस्त नहीं हो पाए हैं। इस खबर से भड़के परीक्षार्थियों ने पीएससी दफ्तर पहुंचकर शीघ्र ही परीक्षा कराने की मांग की। आवेदक जुलाई में ही परीक्षा कराने की मांग पर अड़ गए हैं लेकिन प्रबंधन का कहना है कि परीक्षा आॅनलाइन ही होगी ओर यह अक्टूबर या नवंबर में संभव है। 

यहां बता दे कि इस परीक्षा के लिए 21 जुलाई 2014 को आवेदन आमंत्रित किए गए थे। इसके बाद तीन बार परीक्षा की डेट बदली जा चुकी है। पूछा जाना चाहिए कि ये क्या मजाक लगा रखा है MPPSC ने। इसे क्यों बर्दाश्त किया जा रहा है। एक परीक्षार्थी यदि समय पर फार्म ना भर पाए या परीक्षा फीस जमा ना कर पाए तो दण्ड स्वरूप उसे अपात्र घोषित कर दिया जाता है। कोई सेकेंड चांस नहीं दिया जाता। MPPSC के अधिकारी समय पर अपना काम पूरा नहीं कर सकते तो उन्हें हटा क्यों नहीं दिया जा रहा। क्या आरटीओ की तरह MPPSC भी राजनैतिक दलों और सत्ताधारी नेताओं की मोटी कमाई का जरिया बन गया है, जिसकी सारी गलतियां माफ की जा रहीं हैं। 

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