जबलपुर। राजधानी भोपाल निवासी समाजसेवी वीके नवाथे ने एक जनहित याचिका के जरिए मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर को मिले भारत रत्न सम्मान को कठघरे में रखा है। मुख्य न्यायाधीश अजय माणिकराव खानविलकर व जस्टिस केके त्रिवेदी की युगलपीठ ने इस मामले में असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल जिनेन्द्र कुमार जैन को सुप्रीम कोर्ट से जुड़ी जानकारी प्रस्तुत करने की जिम्मेदारी सौंप दी है। इसके लिए एक सप्ताह का समय दिया गया है।
प्रोडक्ट्स की ब्रांडिंग पर सवाल
जनहित याचिकाकर्ता का कहना है कि देश के जाने-माने वैज्ञानिक सीवी राव के साथ सचिन तेंदुलकर को भारत रत्न जैसा सर्वोच्च सम्मान दिया गया। इस सम्मान से विभूषित व्यक्तित्व की अपनी मर्यादा होती है। इसके बावजूद सचिन तेंदुलकर कई कंपनियों के प्रोडक्ट्स की ब्रांडिंग का पुराना रवैया जारी रखे हुए हैं।
कायदे से भारत रत्न सचिन तेंदुलकर बनने के बाद उन्हें बाजारवाद को प्रोत्साहित करने के स्थान पर देशवासियों को जागरूक करने सहित अन्य गतिविधियों पर अधिक ध्यान देना चाहिए। लेकिन वे ऐसा न करते हुए विज्ञापनों में नजर आते रहते हैं। इससे भारत रत्न का अपमान होता है।
सम्मान छीनें या विज्ञापन बंद कराएं
जनहित याचिकाकर्ता ने गुरुवार को स्वयं अपना पक्ष रखा। उसकी मांग है कि या तो सचिन तेंदुलकर से भारत रत्न जैसा सर्वोच्च सम्मान छीन लिया जाए या फिर विज्ञापनों में मॉडलिंग पर रोक लगाई जाए। हाईकोर्ट ने पूरे मामले पर गौर करने के बाद एएससी से अपेक्षा की कि वे सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस तरह के मामले में जारी दिशा-निर्देश आदि के बारे में जानकारी लेकर अवगत कराएं। साथ ही केन्द्र शासन से भी निर्देश हासिल किए जाएं।