भोपाल। अंतत: सरकार सही रास्ते पर आ ही गई। मप्र संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ की सक्रियता ने 1000 संविदा कर्मचारियों को बेरोजगार होने से बचा लिया। मप्र शासन ने उनकी संविलियन की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी है। याद दिला दे कि यह खबर सबसे पहले भोपालसमाचार.कॉम ने प्रकाशित की थी। इसके बाद इसे नेशनल मीडिया ने लिफ्ट कराया।
भारत सरकार द्वारा पंचायती राज विभाग अंतर्गत बैकवर्ड रीजन ग्रांड फंड स्कीम को बंद करने के निर्णय के परिप्रेक्ष्य में (बीआरजीएफ) परियोजना में कार्यरत संविदा कर्मचारियों को पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की अन्य परियोजनाओं जैसे आरईएस, नरेगा आदि में संविलयन किये जाने की कार्यवाही प्रारंभ हो गई है। इस सबंध में पंचायत राज आयुक्त रघुवीर श्रीवास्तव द्वारा 6 जून की शाम को जिन जिलों में बीआरजीएफ योजना प्रचलित थी वहां के कलेक्टरों को पत्र लिखकर डाटा एन्ट्री आपरेटरों के आरईएस में संवियलन के लिए निम्न जानकारी मंगाई है, रोस्टर अनुसार भर्ती हेतु विज्ञप्ति की प्रति, चयन प्रक्रिया- लिखित /साक्षात्कार, चयनित अभ्यर्थियों की शैक्षिणक योग्यता से सबंधी दस्तावेज, प्रथम नियुक्ति आदेश की प्रति, अंतिम मूल्याकंन प्रतिवदेन ।
यह दस्तावेज 9 जून तक कलेक्टरों को पंचायती राज कार्यालय में उपलब्ध कराने होंगें। यदि कलेक्टर दस्तावेज समय पर उपलब्ध नहीं कराते हैं तो संपूर्ण उत्तरदायित्व कलेक्टरों का होगा । म.प्र. संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश राठौर ने कहा है कि पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग का यह सराहयनीय कदम है क्योंकि सभी कर्मचारी ओवरऐज हो गये हैं, शादी होने के बाद परिवार बढ़ गया है, नौकरी से हटने पर माता - पिता और परिवार के लालन पालन कैसे होता ये चिंता का विषय था। गौरतलब है कि 5 जून को संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश राठौर के नेतृत्व में बी.आर.जी.एफ. के संविदा कर्मचारियों ने संवियलन की मांग को लेकर पंचायती राज कार्यालय पर प्रदर्शन भी किया था । महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश राठौर ने कहा है कि डाटा एन्ट्री आपरेटर के साथ सहायक यंत्री,, उपयंत्री,, सहा परियोजना अधिकारी,, लेखापाल , संकाय सदस्या, प्रोग्रामर, केयर टेकर , प्रशिक्षण समन्वयक, जेण्डर समन्वयक आदि का भी संविलयन किये जाने के लिए पत्र जारी किया जाए ।