भोपाल। डीमेट घोटाले की जांच जिस गति से चल रही है, उससे अंदरूनी कारणों का खुलासा खुद-ब-खुद हो रहा है। बयानबाजी व जानकारियों के कबाड़ को उल्टा-पल्टा कर अस्त-व्यस्त तरीकों से जिस तरह दस्तावेजों को बटोरा जा रहा है, उससे जांच प्रक्रिया पर सवाल उठने लगे हैं।
जानकारों का कहना है कि अगर जांच में निष्पक्षता लाना है तो व्यापमं के मुख्य अभियुक्त योगेश उपरीत का नारकोएनाॅएलिस टेस्ट कराया जाए, साथ ही धारा 164 के तहत कोर्ट में उनके बयान दर्ज कराए जाएं। इस मामले में एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने आशंका जतायी है कि उपरीत को जान को खतरा हो सकता है, कुछ इन्हीं परिस्थितियोंं में इस मामले से जुड़े आरोपियों की मौतें हो चुकी हैं।
ऐसी स्थिति में उपरीत को कड़ी सुरक्षा दी जानी जाहिए। ज्ञात हो कि डीमेट मामले में 3 जून को योगेश उपरीत को गिरफ्तार किए जाने के बाद जिस तेजी से डाॅ. जौहरी को गिरफ्तार किया गया था अौर उनकी बेटी रिचा के फरार होने पर इनाम घोषित किया गया था, उसके बाद से जांच धीमी पड़ गई है। जानकारों के अनुसार योगेश उपरीत ने जांच टीम के सामने जो चौंकाने वाले नाम और जानकारियां उजागर की हैं उसके बाद हड़कम्प मचने से जांच की गति धीमी पड़ गई है।
CBI ही कर सकती है जांच
व्यापमं घोटाले का लेकर नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच युवा प्रकोष्ठ, अभिभावक मंच ने प्रधानमंत्री के नाम एक पत्र प्रेषित कर इस घोटाले की सीबीआई जांच कराए जाने की मांग की है। मंच ने इस मामले की जांच की निष्पक्षता पर सवाल खड़े करते हुए निष्पक्ष जांच कराए जाने की मांग की है। मंच के मनीष शर्मा, रानी जायसवाल, बीना सिंह, साजिद खान, मोहित जैन, अरुण सिंह पवार आदि ने इस फर्जीवाड़े की सीबीआई जांच कराए जाने की मांग की है।
प्रदेश सरकार की भूमिका पर सवाल
जद यूनाइटेड ने फर्जीवाड़े के मामले को लेकर मालवीय चौक पर विरोध प्रदर्शन कर इस मामले में प्रदेश सरकार की भूूमिका पर सवाल उठाए हैं। जद यू के रामरतन यादव, अरविन्द पैगवार, जीपी पांडे, सरमन रजक, तेजीलाल कुशवाहा, सुधीर शर्मा, रमेश रजक आदि ने जांच में तेजी लाने की मांग की है।
सुप्रीम कोर्ट की निगरानी जरूरी
व्यापमं घोटाले की जांच भले ही हाईकोर्ट की निगरानी में चल रही है परंतु डीमेट घोटाले की जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में चलनी चाहिए। यह मांग सोशल मीडिया पर उठ रही है। तर्क यह है कि डीमेट घोटाले में नेताओं और अफसरों के अलावा मप्र की न्यायपालिका से जुड़े लोग भी आरोपी हो सकते हैं।
पांच माह पूर्व हुआ था योगेश का नाम उजागर
जानकारों के अनुसार व्यापमं फर्जीवाड़े की जांच में जुटी एसटीएफ को पांच माह पूर्व डीमेट मामले में मुख्य अभियुक्त के रूप में शहर की शिक्षण संस्था हितकारिणी सभा से जुड़े योगेश उपरीत का नाम उजागर हुआ था, लेकिन किन्हीं कारणों से उनकी गिरफ्तारी नहीं हो सकी थी। अचानक इस मामले में योगेश उपरीत की गिरफ्तारी की गई और उनके बयान के आधार पर जांच को आगे बढ़ाया गया है।
रिचा का सुराग तलाशने के लिए दबिश, संदेही हिरासत में
प्री-पीजी फर्जीवाड़े में फरार डॉक्टर रिचा जौहरी का सुराग नहीं लगा है। पुलिस की दो टीमें खाली हाथ लौटी हैं जबकि कुछ स्थानों पर इसको तलाश किया जा रहा है। वहीं उत्तरप्रदेश से भी पुलिस ने सॉल्वर गिरोह के एक सदस्य को हिरासत में लिया है। इससे पूछताछ की जा रही है।
प्री-पीजी वर्ष वर्ष 2010 में 25 लाख रुपए देकर सिलेक्ट होने वाली रिचा जौहरी के नाम का खुलासा डीमेट के कोषाध्यक्ष योगेश उपरीत ने किया था।
योगेश और इसके पिता डॉक्टर एमएस जौहरी को पुलिस पहले ही गिरफ्तार कर लिया था। इसके बाद रिचा की तलाश की जा रही थी। इंदौर और जबलपुर में इसे तलाशने गई टीमों को सफलता नहीं मिली है जबकि राजस्थान में अभी इसकी तलाश की जा रही है।