अब मुझे शिवराज के मंत्री मंडल में नहीं रहना

भोपाल। शिवराज के ओरे से बाहर निकलने के लिए छटपटा रहे कैलाश विजयवर्गीय की मुराद पूरी हो गई है और इसकी पुष्टि बीते रोज इंदौर में हुए सार्वजनिक कार्यक्रम में हो गई। यहां कैलाश विजयवर्गीय ने खुद बताया कि उन्होंने इस्तीफे की पेशकश कर दी है। शिवराज सिंह जब चाहें तब मेरा इस्तीफा स्वीकार कर सकते हैं।

बता दें कि मप्र में शिवराज और कैलाश के बीच तनातनी लम्बे समय से चली आ रही है। कैलाश विजयवर्गीय और शिवराज सिंह दोनों संघ प्रचारकों के प्रिय नेता रहे हैं परंतु दोनों के गुट अलग अलग हैं। इसी तनाव के चलते कैलाश विजयवर्गीय मप्र की राजनीति से बाहर निकलकर केन्द्र की राजनीति करना चाहते थे। विधानसभा चुनावों के समय भी उन्होंने टिकिट लेने से इंकार करते हुए अपने बेटे को आगे बढ़ा दिया था और सीट निकालने की गारंटी भी दी थी परंतु शिवराज नहीं माने।

हालात यह हो गए थे कि शिवराज येन केन प्रकारने कैलाश विजयवर्गीय को अपना अधीनस्थ बनाए रखना चाहते थे और कैलाश हर हाल मेंं शिवराज के ओरे से बाहर निकलना चाहते थे। इस संदर्भ में वो लम्बे समय से प्रयास कर रहे थे और मनोकाना पूरी होते ही बातों बातों में उन्होंने अपनी बात सार्वजनिक कर ही दी।

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