कमीशन के लालच में बना डाले अनुपयोगी भवन

लाड़कुई। विकास के नाम पर ग्रामीण इलाकों में लाखों के निर्माण कार्य हो रहे हैं परंतु सब के सब कंडम। किसी भवन का कोई उपयोग ही नहीं हो रहा। क्या यह आरोप नहीं लगाया जाना चाहिए कि केवल ठेकेदारों से कमीशन खाने के लिए यह फर्जी विकास कार्य करा दिए गए। पढ़िए कितने भवन बेकार पड़े हैं यहां:

कंडम हो रहा है पशु चिकित्सालय
जिसमें पशु अस्पताल जिसका निमार्ण कई वर्ष पूर्व हुआ लेकिन उससे आज भी पशु चिकित्सा विभाग द्वारा नही लिया गया जानकारी लेने पर पता चला की उसमें निर्माण के दौरान कुछ कमियां रह जाने के कारण उसे पशु चिकित्सा विभाग ने लेने से इनकार कर दिया। आज भी पुराने भवन में ही पशुओ का इलाज किया जाता है लेकिन क्षेत्र बडा होने के बाद भी नियामित रूप से पशु अस्पताल को खोला नही जाता है क्योकि यहा पर कोई डाक्टर नही होने के कारण मात्र एक कम्पाउडर गबूलाल मालवीय ही है। जो कई बार मिटिंग व क्षेत्र में मवेशी देखने जाने के कारण नियामित रूप से खोल नही पाता है।

ना मछली, ना दुकानदार, बना हुआ है मछली बाजार
ग्राम के वन विभाग कार्यालय के सामने मछली बाजार का निर्माण कराया गया है लेकिन ग्राम के मछली बाजार मे अवारा पशु ही बैठे देखे गये है आज तक कभी भी मछली बाजार नही लगया गया। ग्राम में मछली बाजार का निर्माण तो किया लेकिन यहा पर बिकने के लिये मछली कहा से आयेंगी इसकी कोई व्यवस्था नही कि गई जिसके चलते बाजार की शोभा आवारा कुत्ते बडा रहे है।

बस बनाकर छोड़ दिया सब्जी बाजार
प्रशासन द्वारा ग्राम से बाहर सब्जी बाजार का भी निर्माण किया गया है लेकिन जिस कम्पनी को इसे पूरा करने का काम दिया है वो आज दिनाॅक भी काम को पूरा नही कर पाई है। जबकी इसे जल्द से जल्द पूरा कर बाजार लगना शुरू भी हो जाना चाहिए था लेकिन ये आज दिनाॅक तक अधूरा पडा हुआ है इसकी शोभा आवारा जानवर ही बडा रहे है।

सरपंच सचिव ही नहीं आते नवीन पंचायत भवन में
ग्राम में नये पचायत भवन का निर्माण करीब एक वर्ष हो गया लेकिन अभी इसे पचायत के हाथों सुपुर्द नही किया गया जिसके चलते ग्रामीणों द्वारा लाखों की लागत से बने भवन के सामने कचरे का डेर लगा दिया। जिसके बरामदे में रात मे आवारा पशु विश्राम करते है।

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