अफसरों की मीटिंग में रिश्वतखोरी पर बवाल

भोपाल। मंत्रालय में हुई इज ऑफ डूइंग की मीटिंग में टीएंडसीपी में चल रही रिश्वतखोरी पर खूब बवाल मचा। एक प्रकार से इस मीटिंग में टीएंडसीपी घोटाले का आधिकारिक खुलासा हुआ है। उद्योग विभाग के प्रमुख सचिव मोहम्मद सुलेमान ने टीएंडसीपी घोटाले की पूरी पर्तें खोल डालीं, किस तरह टीएंडसीपी वाले कृषि भूमि को टीएंडसीपी में शामिल करते हैं और फिर किस तरह लैंड यूज चेंज करने के नाम पर करोड़ों की वसूली की जा जाती है।

बैठक में नगरीय विकास एवं पर्यावरण विभाग के प्रमुख सचिव मलय श्रीवास्तव और टीएंडसीपी कमिश्नर गुलशन बामरा अवकाश पर होने के कारण मौजूद नहीं थे, उनकी जगह विभाग का प्रतिनिधित्व नगरीय प्रशासन आयुक्त विवेक अग्रवाल कर रहे थे, लेकिन उन्होंने मामले की जानकारी न होने का कहकर पल्ला झाड़ लिया। प्रमुख सचिव सुलेमान द्वारा खुलेआम आरोप लगाए जाने के बाद बैठक में मौजूद अफसर सकते में आ गए।

सुलेमान यही नहीं रूके, उन्होंने कहा कि टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के अफसर मास्टर प्लान बनाते समय जानबूझकर उसमें कृषि भूमि का बड़ा हिस्सा शामिल कर लेते हैं, जिससे उद्योगपति सहित अन्य जरूरतमंद व्यक्ति लैंड यूज चेंज कराने के लिए इनके फेर में फंसे। उन्होंने कहा कि लैंड यूज चेंज कराने की समय-सीमा तय होनी चाहिए। साथ ही कृषि भूमि में आमोद-प्रमोद, सार्वजनिक-अर्द्धसार्वजनिक उपयोग (स्कूल, अस्पताल आदि) और उद्योग के उपयोग को भी शामिल किया जाए।

उन्होंने यह भी कहा कि उद्योगों से लैंड यूज चैंज कराने का शुल्क नहीं लगना चाहिए। इस पर बैठक की अध्यक्षता कर रहे मुख्य सचिव अंटोनी जेसी डिसा ने कहा कि यह बात सही है कि प्रदेश के विकास के लिए सार्वजनिक-अर्द्धसार्वजनिक उपयोग और उद्योग रीढ़ (बैक बोन) हैं। उन्होंने कहा कि शहर से लगी कृषि भूमि में इन उपयोगों को मान्य करने के लिए नियमों में संशोधन करना अनिवार्य है। इस संबंध में विभाग के प्रमुख सचिव श्रीवास्तव से चर्चा कर निर्णय लिया जाएगा।

तीन माह से पहले जारी नहीं होंगे आदेश
इज ऑफ डूइंग के लंबित मामलों में नगरीय प्रशासन के दो मुद्दे 2400 वर्गफीट के प्लॉट पर बिल्डिंग परमिशन के अधिकार आर्किटेक्ट को देने और प्रदेश के सभी निकायों में ऑनलाइन बिल्डिंग परमिशन की व्यवस्था पर नगरीय प्रशासन आयुक्त विवेक अग्रवाल ने कहा कि मैं स्पष्ट रूप से कह रहा हूं कि इनकी प्रक्रिया पूरी कर आदेश जारी करने में तीन माह का समय लग जाएगा। इस पर मुख्य सचिव ने सहमति जताते हुए कहा कि कोई बात नहीं वैसे भी जल्दबाजी में काम खराब हो जाता है।

आप कुछ भी कहें-भारत सरकार ने सम्मानित किया है
बैठक में जैसे ही प्रदूषण नियंत्रण मंडल के लंबित विषय पर चर्चा हुई, प्रमुख सचिव सुलेमान बोल पड़े कि इनके यहां भी व्यवस्था में काफी गड़बड़ है। ग्रीन इंडस्ट्री का प्रावधान नहीं किया, न ही विभाग का पूरी तरह कम्प्यूटराइजेशन हुआ है। उद्योगपतियों को पर्यावरण की एनओसी लेने कार्यालय के चक्कर काटने पड़ते हैं।

इस पर मंडल के अध्यक्ष एनपी शुक्ला ने कहा कि आप कुछ भी कहें, हमारी कार्यप्रणाली की भारत सरकार ने प्रशंसा की है। सभी राज्यों में सिर्फ मप्र का ही प्रदूषण नियंत्रण मंडल कम्प्यूटराइज्ड है। रही ग्रीन इंडस्ट्रीज की बात तो हमने उसकी पूरी सूची बनाकर वेबसाइट पर डाल दी है। इन्हें प्रदूषण की एनओसी ऑनलाइन दी जा रही है।
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