ग्वालियर। यहां हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका दायर करने वाले कथित सामाजिक कार्यकर्ता को भ्रष्ट तो निरूपित नहीं किया, लेकिन भ्रष्ट से कम भी नहीं कहा। दरअसल याचिकाकर्ता ने पहले नगरनिगम में भ्रष्टाचार के खिलाफ जनहित याचिका लगाई और फिर याचिका वापस लेने का आवेदन पेश कर दिया। हाईकोर्ट ने इस मामले में याचिकाकर्ता को ही निशाने पर ले लिया। कड़ी फटकार लगाई और याचिका निरस्त करने से इंकार करते हुए जांच के आदेश दिए।
हाईकोर्ट की युगल पीठ ने नगर निगम के भ्रष्टाचार को लेकर दायर की गई जनहित याचिका को वापस लेने पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि क्या आपका काम हो गया है? आपने भी सोचा कि भ्रष्टाचार की बहती गंगा में डुबकी लगा लें। कानून के मुताबिक जनहित याचिका वापस नहीं ली जा सकती है। कोर्ट ने ईओडब्ल्यू एसपी को याचिका में शामिल बिन्दुओं पर जांच करने और एक्शन लेकर कोर्ट में रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए हैं।
सामाजिक कार्यकर्ता हरिमोहन तिवारी ने नगर निगम के भ्रष्टाचार को लेकर जनहित याचिका दायर की। याचिका में बताया गया था कि नगर निगम के सिटी इंजीनियर प्रेम पचौरी ने अपने रिश्तेदार, भाई और परिवार के लोगों के नाम कंपनी बनाई थी। इनकी कंपनियों को करोड़ों के ठेके दिए गए। प्रेम पचौरी ने इनका भुगतान किया था। इसमें करोड़ों रुपए का भ्रष्टाचार किया गया है। इसके अलावा भवन अधिकारी पवन सिंघल ने भवन निर्माण की अनुमति देकर करोड़ों रुपए कमाए हैं, जिससे उन्होंने अपने व पत्नी के नाम आय से अधिक संपत्ति अर्जित की है।
सोमवार को हरिमोहन तिवारी के अधिवक्ता ने कोर्ट से अपनी जनहित याचिका वापस लेने का अनुरोध किया। याचिका वापस लेने पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जाहिर की। कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए याचिका वापसी का आवेदन खारिज कर दिया और ईओडब्ल्यू को याचिका के बिन्दुओं पर जांच का आदेश दिया। साथ ही कहा कि हाईकोर्ट का रजिस्ट्री डिपार्डमेंट याचिका की कॉपी ईओडब्ल्यू को भेजे। ईओडब्ल्यू एसपी तीन महीने में याचिका के बिन्दुओं पर जांच करें। कानून के मुताबिक कार्रवाई कर हाईकोर्ट को अवगत कराया जाए।
यह दिए तथ्य
महावीर इंटर प्राइजेज, रामराज्य इंटर प्राइजेज व प्रहलाद उपाध्याय (प्रेम पचौरी का भांजा) ने नगर निगम में 5 करोड़ के कार्य किए। प्रेम पचौरी ने इन कार्यों के लिए 2 करोड़ के बिल बनाए थे।
प्रेम पचौरी ने आय से अधिक संपत्ति जुटाई है। पुरानी छावनी तिराहे पर 60 लाख रुपए में 30 बीघा जमीन खरीदी है।
पवन सिंघल ने भवन निर्माण की अनुमति में करोड़ों का भ्रष्टाचार किया है। कंपू, अनुपम नगर में लाखों रुपए की कीमत के मकान खरीदे हैं। यह मकान पवन सिंघल व उनकी पत्नी बेबी सिंघल के नाम है।