AIPMT की परीक्षाएं रद्द: सुप्रीम कोर्ट का आदेश

नईदिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने आज ऑल इंडिया प्री मेडिकल टेस्ट (एआईपीएमटी) 2015 को रद्द कर दिया और चार सप्ताह के भीतर फिर से परीक्षा लेने का आदेश दिया। इस परीक्षा में कुल 6.3 लाख छात्र शामिल हुए थे। उच्चतम न्यायालय में न्यायमूर्ति आर के अग्रवाल और न्यायमूर्ति अमिताभ राय की अवकाश पीठ ने परीक्षा के आयोजन में शामिल संस्थाओं को निर्देश दिया कि वे इस निर्धारित अवधि के भीतर इसे पूरा करने में केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) की मदद करे।

पीठ ने अपने आदेश में कहा कि याचिकाओं को स्वीकार किया जाता है। सीबीएसई चार सप्ताह के भीतर एआईपीएमटी 2015 आयोजित करे। शीर्ष अदालत ने परीक्षा में बड़े पैमाने पर कदाचार और कई स्थानों पर छात्रों को परीक्षा हॉल में सवालों के जवाब मुहैया कराए जाने को ध्यान में रखते हुए यह निर्देश दिया। इससे पहले शीर्ष अदालत ने तीन मई को आयोजित परीक्षा में कथित तौर पर बड़े पैमाने पर अनियमितता के लिए एआईपीएमटी परीक्षा फिर से आयोजित करने की मांग करने संबंधी याचिका पर 12 जून को फैसला सुरक्षित रखा था।

शीर्ष अदालत ने कहा था कि अगर एक भी छात्र को अवैध तरीके से फायदा होता है तो परीक्षा की शुचिता प्रभावित होती है। उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि इस तरह से सीबीएसई को दोषी नहीं ठहराया जा सकता, लेकिन पिछली घटनाओं को ध्यान में रखते हुए सीबीएसई को इन चीजों पर संज्ञान लेना चाहिए।

सीबीएसई का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल रंजीत कुमार ने परीक्षा रद्द किए जाने संबंधी दलील का विरोध करते हुए कहा था कि 6.3 लाख छात्रों को फिर से परीक्षा देने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है, जबकि केवल 44 छात्र गलत तरीकों से फायदा उठाने में शामिल पाए गए हैं।

अवकाश पीठ ने हरियाणा पुलिस से इस मामले में ताजा रिपोर्ट पेश करने को कहा था, जिसमें इस बात का जिक्र किया गया हो कि प्री मेडिकल परीक्षा में कथित अनियमितता से कितने छात्रों ने फायदा उठाया। पीठ ने पुलिस से कथित लीक का फायदा उठाने वाले अधिक से अधिक संख्या में छात्रों की पहचान करने को कहा था।

सीबीएसई को एआईपीएमटी परीक्षा का परिणाम पांच जून को घोषित करना था, जिसमें छह लाख से अधिक छात्र शामिल हुए थे। शीर्ष अदालत ने कहा था कि बड़ा मुद्दा यह है कि परीक्षा की पवित्रता संदेह में है। हम पूरी तरह से आश्वस्त होना चाहते हैं कि फिर से परीक्षा लेने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है। पीठ ने कहा था कि हम जल्दबाजी में कोई निर्णय नहीं करना चाहते।

भोपाल समाचार से जुड़िए
कृपया गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें यहां क्लिक करें
टेलीग्राम चैनल सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें
व्हाट्सएप ग्रुप ज्वाइन करने के लिए  यहां क्लिक करें
X-ट्विटर पर फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें
फेसबुक पर फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें
समाचार भेजें editorbhopalsamachar@gmail.com
जिलों में ब्यूरो/संवाददाता के लिए व्हाट्सएप करें 91652 24289

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!