भोपाल। ईओडब्ल्यू, लोकायुक्त, आयकर विभाग, क्राइम ब्रांच, एसटीएफ और ऐसी ही तमाम ऐजेंसियों को समाज में ईमानदार और शक्तिशाली जांच ऐजेन्सियों की मान्यता प्राप्त है परंतु लगतार कुछ इस तरह के मामले सामने आ रहे हैं, जिससे संदेह होता है कि इन जांच ऐजेन्सियों के अधिकारी भ्रष्ट अफसरों पर अड़ीबाजी करते हैं और जो अफसर इनकी मुराद पूरी नहीं करता, केवल उसी के खिलाफ कार्रवाई करते हैं।
ईओडब्ल्यू पर यह सवाल एसआर मोहंती के खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति मांगने के बाद खड़ा हुआ है। अपना पक्ष रखते हुए मोहंती ने कहा है कि ' सुप्रीम कोर्ट ने जिन 13 बिंदुओं पर जांच करने के निर्देश दिए थे, ईओडब्ल्यू ने उनमें से केवल एक बिंदू पर जांच कर अपनी रिपोर्ट सरकार को दी है, जो कि सीधे-सीधे सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना है।
मोहंती ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने ईओडब्ल्यू को मेरा पक्ष लेने के भी निर्देश दिए थे, जो नहीं लिया गया। मुझे फंसाने की साजिश हो रही है।'
इसके अलावा मध्यप्रदेश में भ्रष्टाचार के ब्रांच एम्बेसडर योगीराज शर्मा के मामले में भी ईओडब्ल्यू सस्पेक्टेड है। यदि आप भोपाल पुलिस के एक सिपाही को भी योगीराज शर्मा की काली कमाई पता लगाने का जिम्मा सौंपे तो वो 7 दिन में जांच पूरी कर लेगा परंतु ईओडब्ल्यू लगतार योगीराज शर्मा के खिलाफ जांच को टालती जा रही है। कभी कभी एक हुड़की भरा प्रेस बयान जारी होता है और फिर मामला शांत हो जाता है। धीमी जांच यह संदेह पैदा करती है कि योगीराज शर्मा के साथ ईओडब्ल्यू के अफसरों की सेटिंग हो गई है। जब तक किश्तें आ रहीं हैं ईओडब्लयू की जांच ठंडी ही रहेगी। संभव है यह नस्तीबद्ध भी हो जाए।
बड़ी ईमानदार छवि है ईओडब्ल्यू की
अभी तक समाज में ईओडब्ल्यू की बड़ी ईमानदार छवि है। आर्थिक अपराधों के मामले में ईओडब्ल्यू को आम नागरिक सीबीआई के समतुल्य मानते हैं और यदि ईओडब्ल्यू अपनी जांच में किसी अफसर या कारोबारी को भ्रष्टाचार का दोषी प्रमाणित करता है तो लोग बिना न्यायालय के निर्णय की प्रतीक्षा किए, संबंधित को दोषी मान लेते हैं परंतु अब कुछ ऐसे मामले सामने आने लगे हैं जो ईओडब्ल्यू की छवि को धूमिल कर रहे हैं।