राकेश दुबे@प्रतिदिन। बड़ा अजीब सा दृश्य है, भारतीय जनता पार्टी की सरकार मध्य प्रदेश में “अपने मुंह मियां मिठ्ठू” की तर्ज़ पर कसीदे काढ़ने में लगी रहती है| हकीकत को कल अमित शाह ने बयाँ कर दी| उन्होंने साफ कहा की मंत्रियों की शिकायते दिल्ली पहुंचती है| कार्यकर्ता की शिकायत भोपाल में ही हल होना चाहिए| कार्यकर्ता दिल्ली आकर मंत्रियों की शिकायत करते हैं|
अमित शाह सही कह रहे हैं| मध्यप्रदेश में मंत्रियो और उनके परिजनों के किस्से हर दिन अख़बारों में होते हैं एक पूर्व मंत्री जेल में है| एक पूर्व मंत्री का नाम भी व्यापम घोटाले में हैं| लोकायुक्त में शिकायतों की लम्बी सूची है और लोकायुक्त को आगे काम करने की अनुमति सरकार नहीं दे रही है| अगर अनुमति मिल जाये तो यह तथ्य उजागर होगा कि सब की दशा एक जैसी है कोई उननीस तो कोई बीस|
अमित शाह ही नहीं भारतीय जनता पार्टी की सारी आलाकमान जानती है कि गडबडी कहाँ है| इस को स्पष्ट करने के लिए जन सामान्य में प्रचलित कुछ परिभाषाये (1) सरकार मुख्यमंत्री के नेतृत्व में काम करने वाले मंत्रियों का वह समूह है, जो कार्यपालिका से जनहित की नीतियों का क्रियान्वयन कराता है | (2) मंत्रिमंडल का वह सामूहिक उत्तरदायित्व होता है और वः मुख्य मंत्री की निगरानी में काम करता है|
यह पारिभाषिक विश्लेष्ण प्रमाणित करता है की प्रदेश का नेतृत्व सही दिशा में काम ही नही कर रहा है बल्कि जनहित की अनदेखी के आरोप से भी वह मुक्त नहीं है| व्यापम इसका उदाहरण है सबको मालुम था फिर भी सबकी आँखे बंद थी| राज्य सरकार के कोष से तनख्वाह पाने के साथ सब के कुछ कर्तव्य भी हैं| अभी तो सब अपनी मर्जी का कर रहे हैं| इस मनमर्जी को प्रतिपक्ष का भी समर्थन है, मुद्दे मतलब तक उठाये जाते हैं| एक अप्रत्यक्ष संधि साफ दिखाई देती है| सुनवाई नहीं होने से भाजपा के कार्यकर्त्ता दिल्ली जाते हैं और नतीजा वही है जो अमित शाह ने कहा अब बहानेबाज़ी नहीं काम करो|
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क 9425022703
rakeshdubeyrsa@gmail.com