भोपाल। आँगनवाड़ी केन्द्रों द्वारा गुणवत्तापूर्ण सेवाएँ देने की निरंतरता के लिये आँगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, सहायिकाओं को गैर-आईसीडीएस सेवाओं से संबद्ध नहीं किये जाने के निर्देश दिये गये हैं। इस संबंध में सामान्य प्रशासन विभाग ने एक परिपत्र जारी कर सभी विभाग, विभागाध्यक्ष, संभागायुक्त, कलेक्टर और जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी को अवगत करवाया है।
आँगनवाड़ी कार्यकर्ता, सहायिकाओं की आईसीडीएस कार्यों के अतिरिक्त अन्य कार्यों में ड्यूटी नहीं लगाये जाने के संबंध में महिला-बाल विकास विभाग द्वारा समय-समय पर निर्देश जारी किये गये हैं। इसके बावजूद यह देखने में आया कि इनकी ड्यूटी अन्य कार्य जैसे परिवार कल्याण कार्यक्रम में प्रेरक के रूप में, लक्ष्य दम्पति सर्वे, अंत्योदय सर्वे, स्वच्छता दूत, शौचालय की गिनती, आयोडीन नमक की जाँच, गाँव में कुओं की गिनती, उनमें दवा डालने, जन-गणना कार्य, चुनाव ड्यूटी, फोटो चुनाव नामावली, बूथ-लेवल अधिकारी के कार्य, समग्र सामाजिक सुरक्षा मिशन के सर्वे, पशु सर्वे, पशु संगणना आदि में लगायी जाती है। कार्य नहीं करने पर कार्यकर्ता, सहायिका के विरुद्ध कार्रवाई जैसे मानदेय काटना, स्पष्टीकरण दिया जाना इत्यादि भी किया जाता है।
आँगनवाड़ी कार्यकर्ता को गैर-आईसीडीएस कार्यों में संबद्ध किये जाने से आँगनवाड़ी केन्द्रों की सेवाएँ लम्बे समय तक प्रभावित रहती हैं। साथ ही बच्चों के पोषण-स्तर में सुधार बाधित होता है। बाधित सुधार को पुन: ठीक करने में काफी समय और अतिरिक्त प्रयासों की आवश्यकता होती है, जो बच्चों के स्वास्थ्य के लिये उचित नहीं है। सचिव, भारत सरकार महिला-बाल विकास मंत्रालय, नई दिल्ली के एक फरवरी, 2011 के अर्द्ध-शासकीय पत्र में भी आईसीडीएस अमले से गैर-आईसीडीएस के कार्य नहीं करवाये जाने के निर्देश दिये गये हैं।
वर्तमान में प्रदेश में 80 हजार 160 आँगनवाड़ी केन्द्र तथा 12 हजार 70 मिनी आँगनवाड़ी केन्द्र स्वीकृत हैं। आँगनवाड़ी कार्यकर्ता द्वारा इन केन्द्रों के माध्यम से 6 वर्ष तक के बच्चों को पूरक-पोषण आहार देकर सुपोषित करने और शाला पूर्व शिक्षा देने का महत्वपूर्ण कार्य किया जा रहा है। गर्भवती, धात्री माताओं को पोषण एवं स्वास्थ्य संबंधी सेवाएँ दी जाती हैं, जिसकी निरंतरता एवं अति कम वजन वाले बच्चों की निरंतर और विशेष देखभाल की जाती है।