नईदिल्ली। केंद्रीय पर्यटन राज्यमंत्री डॉ. महेश शर्मा ने सोमवार को लोकसभा में स्पष्ट किया कि ताजमहल के हिन्दू मंदिर होने का कोई रिकार्ड मौजूद नहीं है। इस मामले में 13 मई को सुनवाई होनी है।
लखनऊ के अधिवक्ता हरीशंकर जैन समेत आगरा के कुछ वकीलों ने आठ अप्रैल को ताजमहल के हिन्दू मंदिर होने को लेकर आगरा की अदालत में याचिका दायर की थी।
इस पर कोर्ट ने भारतीय पुरातत्व विभाग, केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय तथा राज्य के गृह सचिव को नोटिस भेजकर जवाब मांगा था।
पीएन ओक समेत कुछ इतिहासकारों का भी दावा था कि ताजमहल भगवान शिव का मंदिर था तथा इसका नाम तेजो महालय था। ‘ताजमहल कभी हिन्दू राजभवन था’ नाम से ओक की एक किताब भी प्रकाशित हुई थी।
ताजमहल को हिन्दू मंदिर मानने वालों को सोमवार को उस वक्त धक्का लगा जब केंद्र सरकार ने स्पष्ट कह दिया कि इस दावे का कोई रिकॉर्ड मौजूद नहीं है।
ये था मामला
अदालत में दायर किए गए परिवाद में कहा गया था कि ताजमहल पूर्व में तेजो महालय मंदिर के नाम से था। यहां भगवान शिव का भव्य मंदिर था। इसमें अग्रेश्वर महादेव नाग नागेश्वर विराजमान हैं।
ताजमहल का जो अंदरूनी हिस्सा बंद है, उसे सार्वजनिक रूप से खोला जाए। क्योंकि यह सार्वजनिक जगह है। इसमें पुरातत्व अधिनियम के अंतर्गत ताला बंद रखने का कोई औचित्य नहीं है।
परिवाद में ताजमहल को तेजोमहालय मंदिर घोषित करने की मांग की गई है। अदालत ने प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर छह मई को जवाब दाखिल करने को कहा था, अब तक जवाब दाखिल नहीं हुआ है।