मायके से आई लकड़ी तब हुआ अंतिम संस्कार

ग्वालियर। गरीबी कितनी बुरी होती है इसका अहसास तब हुआ जब एक महिला के मरने के बाद उसके अंतिम संस्कार के लिये लकड़ी खरीदने को पैसे नहीं थे। मायके से जब लकड़ी आई तब कई घंटों बाद दूसरे दिन अंतिम संस्कार हो सका। मामला शिवपुरी जिले के करैरा के ग्राम सिरसौद पंचायत अंतर्गत आने वाले अमोला गांव का है। जहां जानकी आदिवासी नामक महिला को छय रोग के चलते मौत हो जाने पर गरीबी के कारण अंतिम संस्कार के लिये लकड़ी भी न मिल सकी। बाद में मायके वालों ने लकड़ी भेजी तब अंतिम संस्कार हुआ। 

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