ओंकारेश्वर। घोघलगांव में चल रहे जल सत्याग्रह के लेकर प्रशासन गंभीर नजर आ रहा है। वरिष्ठ अधिकारियों ने बैठक लेकर जल सत्याग्रह पर बैठे लोगों के विरुद्ध बड़ी कार्रवाई के संकेत दे दिए हैं। इधर 27 दिन से आंदोलन कर रहे सत्याग्रहियों की हालत खराब होना शुरू हो गई है। किसी के पैर से खून निकल रहा है तो किसी के पैर में फंगस लग गए हैं। आंदोलनकारियों ने इलाज कराने से भी इंकार कर दिया है।
गुरुवार को इंदौर कमिश्नर संजय दुबे, आईजी विपिन माहेश्वरी, पुलिस अधीक्षक महेंद्रसिंह सिकरवार, प्रभारी कलेक्टर अमित तोमर ने एनएचडीसी विश्रामगृह में बैठक ली। इस अवसर पर नर्मदा घाटी विकास विभाग, एनएचडीसी सहित अन्य विभागों के अधिकारी मौजूद थे।
सरकारी सूत्रों का कहना है कि यह बैठक सिंहस्थ की योजनाओं को लेकर हुई है लेकिन जमीनी स्तर पर प्रशासन ने जो व्यवस्था कर रखी है उससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि यह बैठक घोघलगांव में चल रहे जल सत्याग्रह को लेकर है। मोरटक्का, सिद्धवरकूट तथा ओंकारेश्वर में भारी पुलिस बल तैनात किया गया है। शासन के आदेश आते ही प्रशासन कभी भी आंदोलनकारियों पर कार्रवाई शुरू कर देगा।
ज्ञात हो कि 11 अप्रैल से ओंकारेश्वर बांध से प्रभावित 100 से अधिक लोग जमीन के बदले जमीन की मांग को लेकर घोघलगांव में जल सत्याग्रह पर बैठे हैं। चार दिन पूर्व ही प्रशासन और जल सत्याग्रहियों के बीच हातियाबाबा मंदिर में बैठक हुई थी।
इसमें प्रशासन की ओर से प्रभावितों को जमीन दिखाने पर सहमति बनी थी। सत्याग्रहियों का एक प्रतिनिधिमंडल प्रशासन, एनएचडीसी तथा नर्मदा घाटी विकास विभाग के अधिकारियों के साथ होशंगाबाद और नरसिंहपुर में जमीन देखकर लौट आया है। प्रशासन ने जो जमीन प्रभावितों को दिखाई है वह अतिक्रमित और बंजर है। इस जमीन को किसानों ने लेने से मना कर दिया है।
इधर लगातार 27 दिनों से घोघलगांव में पानी में बैठने के कारण कई लोगों की हालत बहुत खराब हो चुकी है। इनकी हालत दिनोंदिन बिगड़ती ही जा रही है। कामनखेड़ा के सोहनलाल की तबीयत इतनी खराब हो चुकी है कि उसे पानी में भी चल पाना कठिन हो गया है। एखंड के जयराम मुछाला के पैरों में फंगस लग गया है। उसके पूरे शरीर में संक्रमण फैलना शुरू हो गया है।
आंदोलनरत आम आदमी पार्टी के आलोक अग्रवाल के पैरों से खून निकलना शुरू हो गया है। जल सत्याग्रह के दौरान डॉक्टरों की टीम भी पहुंच चुकी है लेकिन आंदोलनकारियों ने इलाज कराने से इंकार कर दिया है। उनका कहना है कि जब तक जमीन के बदले जमीन नहीं मिल जाती वे जल सत्याग्रह पर डटे रहेंगे।