भोपाल। किसानों की आन बान और शान के लिए अपनी छाती अड़ा देने वाले मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को यह बताया जाना जरूरी है कि मप्र में अपना गेंहू सहकारी समिति को बेचने के लिए किसान को 20 रुपए प्रति क्विंटल रिश्वत चुकानी पड़ रही है। इसके बिना खरीदी नहीं हो रही।
जबलपुर में लोकायुक्त पुलिस ने पनागर स्थित सिहोद सेवा सहकारी समिति के गेहूं खरीदी के इंचार्ज वीरेन्द्र खम्परिया को 2 हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा। एक किसान की शिकायत पर लोकायुक्त पुलिस ने यह कार्रवाई की। मामले में खास बात यह रही कि आरोपी ने वजन के हिसाब से रिश्वत की रकम तय कर रखी थी। साथ ही यह भी बताया कि पूरे प्रदेश में यही रेट चल रहा है।
लोकायुक्त डीएसपी आरबी शर्मा ने बताया कि पनागर विकासखण्ड के सीधावाहनी गांव में रहने वाले किसान विनोद पटेल ने एसपी लोकायुक्त से शिकायत की थी कि सिहोद गेहूं खरीदी केन्द्र में माल रखने के एवज में उससे 2 हजार रुपए की रिश्वत मांगी जा रही है। एसपी ने कार्रवाई के निर्देश दिए थे। योजना के तहत किसान ने खरीदी केन्द्र के इंचार्ज वीरेन्द्र खम्परिया को बुधवार सुबह 9 बजे पनागर बस स्टैण्ड पर बुलाया। यहां लोकायुक्त पुलिस ने घेराबंदी कर वीरेन्द्र को रिश्वत लेते दबोच लिया।
वजन के हिसाब से फिक्स थी रिश्वत
आरोपी से पूछताछ में पता चला कि उसने वजन के हिसाब से रिश्वत की रकम तय कर रखी थी। प्रति क्विंटल पर 20 रुपए रिश्वत के रूप में लिए जा रहे थे। जैसे किसान विनोद पटेल के 103 क्विंटल गेहूं को खरीदने की रिश्वत 2060 रुपए तय हुई थी। 60 रुपए की रिश्वत पहले दे दी गई थी।
बड़े किसानों को 5 प्रतिशत की छूट
इतना ही नहीं रिश्वतखोरी के कारोबार में डिस्काउंट आफर भी हैं। बड़े किसान जिनके पास 500 क्लिवंट से ज्यादा गेंहू है उन्हें 3 प्रतिशत और इससे भी ज्यादा है तो 5 प्रतिशत तक डिस्काउंट दिया जाता है। 20 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से जितनी भी रकम बनती है हर हाल में वसूली जाती है। उसमें 50 रुपए भी कम नहीं किए जाते। कहा जाता है सरकारी रेट है। चौपाल से लेकर भोपाल तक बंटवारा होता है।
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