ग्वालियर। आम नागरिकों की गिड़गिड़ाहट अफसरों को अक्सर ओवर स्मार्ट बना देती है और कई बार वो भूल जाते हैं कि जिसे जवाब दे रहे हैं वो अनपढ़ ग्रामीण नहीं है। मुरैना के एसपी नवनीत सिंह भसीन भी ऐसी ही एक ओवर स्मार्टनेस के टंटे में बुरे फंस गए हैं। अब हाईकोर्ट ने उन्हें तारीख पर हााजिर रहने का हुकुम सुनाया है। आदेश न्यायमूर्ति यूसी माहेश्वरी व न्यायमूर्ति शील नागू ने जारी किया।
हाईकोर्ट में सजायाफ्ता बंदी अकबर ने एक क्रिमिनल अपील दायर की है। सबलगढ़ पुलिस को अकबर को हाईकोर्ट में पेश करना था, पेशी के समय एक जिम्मेदार अधिकारी को साथ होना चाहिए था लेकिन सिपाही ही उसे हाईकोर्ट लेकर पहुंच गए। इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताई थी। इस मामले में बुधवार को मुरैना एसपी श्री भसीन हाईकोर्ट में उपस्थित हुए।
उन्होंने कोर्ट में कह डाला कि कि पुलिस जवान भी अधिकारी हो सकता है। इसलिए वे कैदी को लेकर कोर्ट आए थे। हाईकोर्ट ने अधीक्षक के इस जवाब पर नाराजगी व्यक्त करते हुए पूछा कि किस कानून में पुलिस जवान को अधिकारी माना गया है। इसकी पूरी जानकारी शपथ पत्र पर हाईकोर्ट में प्रस्तुत की जाए। कोर्ट ने उनको हाजिरी माफी न देते हुए 17 अप्रैल की सुनवाई में उपस्थित रहने के आदेश दिए हैं।
क्या है नियम
अगर किसी कैदी को कोर्ट में पेश किया जाता है तो उसके साथ प्रधान आरक्षक से ऊपर के पुलिस अधिकारी को साथ में भेजना चाहिए, लेकिन मुरैना से सिपाहियों को आरोपियों के साथ भेज दिया गया।
हाईकोर्ट में सजायाफ्ता बंदी अकबर ने एक क्रिमिनल अपील दायर की है। सबलगढ़ पुलिस को अकबर को हाईकोर्ट में पेश करना था, पेशी के समय एक जिम्मेदार अधिकारी को साथ होना चाहिए था लेकिन सिपाही ही उसे हाईकोर्ट लेकर पहुंच गए। इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताई थी। इस मामले में बुधवार को मुरैना एसपी श्री भसीन हाईकोर्ट में उपस्थित हुए।
उन्होंने कोर्ट में कह डाला कि कि पुलिस जवान भी अधिकारी हो सकता है। इसलिए वे कैदी को लेकर कोर्ट आए थे। हाईकोर्ट ने अधीक्षक के इस जवाब पर नाराजगी व्यक्त करते हुए पूछा कि किस कानून में पुलिस जवान को अधिकारी माना गया है। इसकी पूरी जानकारी शपथ पत्र पर हाईकोर्ट में प्रस्तुत की जाए। कोर्ट ने उनको हाजिरी माफी न देते हुए 17 अप्रैल की सुनवाई में उपस्थित रहने के आदेश दिए हैं।
क्या है नियम
अगर किसी कैदी को कोर्ट में पेश किया जाता है तो उसके साथ प्रधान आरक्षक से ऊपर के पुलिस अधिकारी को साथ में भेजना चाहिए, लेकिन मुरैना से सिपाहियों को आरोपियों के साथ भेज दिया गया।